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  • यजुर्वेद - अध्याय 10/ मन्त्र 20
    ऋषिः - देवावात ऋषिः देवता - क्षत्रपतिर्देवता छन्दः - भूरिक अतिधृति, स्वरः - षड्जः
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    प्रजा॑पते॒ न त्वदे॒तान्य॒न्यो विश्वा॑ रू॒पाणि॒ परि॒ ता बभू॑व। यत्का॑मास्ते जुहु॒मस्तन्नो॑ऽअस्त्व॒यम॒मुष्य॑ पि॒ताऽसाव॒स्य पि॒ता व॒यꣳ स्या॑म॒ पत॑यो रयी॒णा स्वाहा॑। रुद्र॒ यत्ते॒ क्रिवि॒ परं॒ नाम॒ तस्मि॑न् हु॒तम॑स्यमे॒ष्टम॑सि॒ स्वाहा॑॥२०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रजा॑पत॒ इति॒ प्रजा॑ऽपते। न। त्वत्। ए॒तानि॑। अ॒न्यः। विश्वा॑। रू॒पाणि॑। परि॑। ता। ब॒भू॒व॒। यत्का॑मा॒ इति॒ यत्ऽका॑माः। ते॒। जु॒हु॒मः। तत्। नः॒। अ॒स्तु॒। अ॒यम्। अ॒मुष्य॑। पि॒ता। अ॒सौ। अ॒स्य। पि॒ता। व॒यम्। स्या॒म॒। पत॑यः। र॒यी॒णाम्। स्वाहा॑। रुद्र॑। यत्। ते॒। क्रिवि॑। पर॑म्। नाम॑। तस्मि॑न्। हु॒तम्। अ॒सि॒। अ॒मे॒ष्टमित्य॑माऽइ॒ष्टम्। अ॒सि॒। स्वाहा॑ ॥२०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रजापते न त्वदेतान्यन्यो विश्वा रूपाणि परि ता बभूव । यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नोऽअस्त्वयममुष्य पितासावस्य पिता वयँ स्याम पतयो रयीणाँ स्वाहा । रुद्र यत्ते क्रिवि परन्नाम तस्मिन्हुतमस्यमेष्टमसि स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    प्रजापत इति प्रजाऽपते। न। त्वत्। एतानि। अन्यः। विश्वा। रूपाणि। परि। ता। बभूव। यत्कामा इति यत्ऽकामाः। ते। जुहुमः। तत्। नः। अस्तु। अयम्। अमुष्य। पिता। असौ। अस्य। पिता। वयम्। स्याम। पतयः। रयीणाम्। स्वाहा। रुद्र। यत्। ते। क्रिवि। परम्। नाम। तस्मिन्। हुतम्। असि। अमेष्टमित्यमाऽइष्टम्। असि। स्वाहा॥२०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 10; मन्त्र » 20
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    Translation -
    O Lord of creatures, no one other than you wins all these various forms. May our desires, with which we invoke you, be fulfilled. May this sacrificer, the son of such and such man, and father of such and such man and we be the possessors of abundant riches. Svaha. (4) O terrible Lord, active and supreme is your name. You are an oblation offered in it. You are an oblation at our house. Svaha. (2)

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