साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 10/ मन्त्र 3
ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
राजा॑नो॒ न प्रश॑स्तिभि॒: सोमा॑सो॒ गोभि॑रञ्जते । य॒ज्ञो न स॒प्त धा॒तृभि॑: ॥
स्वर सहित पद पाठराजा॑नः । न । प्रश॑स्तिऽभिः । सोमा॑सः । गोभिः॑ । अ॒ञ्ज॒ते॒ । य॒ज्ञः । न । स॒प्त । धा॒तृऽभिः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
राजानो न प्रशस्तिभि: सोमासो गोभिरञ्जते । यज्ञो न सप्त धातृभि: ॥
स्वर रहित पद पाठराजानः । न । प्रशस्तिऽभिः । सोमासः । गोभिः । अञ्जते । यज्ञः । न । सप्त । धातृऽभिः ॥ ९.१०.३
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 10; मन्त्र » 3
अष्टक » 6; अध्याय » 7; वर्ग » 34; मन्त्र » 3
अष्टक » 6; अध्याय » 7; वर्ग » 34; मन्त्र » 3
Bhajan -
🙏 आज का वैदिक भजन 🙏 1159
भाग 1/2
*ओ३म् अजी॑जनो॒ हि प॑वमान॒ सूर्यं॑ वि॒धारे॒ शक्म॑ना॒ पय॑: ।
गोजी॑रया॒ रंह॑माण॒: पुरं॑ध्या ॥
ऋग्वेद 9/10/3
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
मिलता है इस विश्व को आश्रय
चहुं दिशी उसी की कृपा है,
अतिशय
चहुं दिशी उसकी कृपा है
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
वह ब्रह्माण्ड की वस्तुएँ रचता
करता है उनको परिपावन
ऽऽऽऽऽऽऽ
इसलिए कहलाता है वो सोम
है पवमान उसका दामन
सदा संलग्न ना रहते यदि प्रभु
कैसे इनका होता निर्वासन?
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
मलिन, विषैले अशुद्ध पदार्थ
बन जाते हैं कष्ट का कारण
ऽऽऽऽऽऽऽ
सूर्य, वायु, वृष्टि-माध्यम से
अपवित्रता का करे निवारण
कण-कण है प्रभु के आश्रय में
कैसा अद्भुत दान का सावन !
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
सूर्य के द्वारा सौरमण्डल का
करते हो तुम पूर्ण सञ्चालन
ऽऽऽऽऽऽऽ
चमकाया आध्यात्मिक सूर्य
आत्मा का भी किया प्रकाशन
मेघ से निर्झर जल बरसाया
कैसा आनन्द पा रहा आत्मन्
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
मिलता है इस विश्व को आश्रय
चहुं दिशी उसी की कृपा है,
अतिशय
चहुं दिशी उसकी कृपा है
सच्चिदानन्द सोम प्रभु के
कार्य बड़े महिमामय
रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई
रचना दिनाँक :-- १.११.२०११ २२.२५ रात्रि*
राग :- खमाज
गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर, ताल कहरवा 8 मात्रा
निर्वासन = निकलना और विसर्जन होना
परिपावन = अत्यंत पवित्र, पवमान
दामन = आंचल
संलग्न = पूर्णता से जुड़ा हुआ
मलिन = मैला
निवारण = दूर करना, हटाना
संचालन = नियंत्रण,चलाना
प्रकाशन = प्रकाश करने वाला
निर्झर = लगातार, बिना रुके
Vyakhya -
https://youtu.be/H8II-jPDnRc?si=kSwXumNcAHBnFclG
गायक, वादक व वैदिक भजन रचना:-
ललित मोहन साहनी
वीडियो निर्माण:-
अदिति शेठ
आज बिटिया अदिति ने ऋग्वेद के 9.10.3 मन्त्र पर एक और 91 वां नया वीडियो बनाया है जो मैं अपने प्रिय सभी श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ शेयर कर रहा हूं।
Hindi & English version