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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 19 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 19/ मन्त्र 9
    ऋषिः - मेधातिथिः काण्वः देवता - अग्निर्मरुतश्च छन्दः - पिपीलिकामध्यानिचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    अ॒भि त्वा॑ पू॒र्वपी॑तये सृ॒जामि॑ सो॒म्यं मधु॑। म॒रुद्भि॑रग्न॒ आ ग॑हि॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒भि । त्वा॒ । पू॒र्वऽपी॑तये । सृ॒जामि॑ । सो॒म्यम् । मधु॑ । म॒रुत्ऽभिः॑ । अ॒ग्ने॒ । आ । ग॒हि॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अभि त्वा पूर्वपीतये सृजामि सोम्यं मधु। मरुद्भिरग्न आ गहि॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अभि। त्वा। पूर्वऽपीतये। सृजामि। सोम्यम्। मधु। मरुत्ऽभिः। अग्ने। आ। गहि॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 19; मन्त्र » 9
    अष्टक » 1; अध्याय » 1; वर्ग » 37; मन्त्र » 4

    Meaning -
    I create and concentrate from all sides the honey sweets of life with yajna for you as your first and only drink of ecstasy. Come, Agni, with all the power and splendour of the winds and bless us one and all.

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