Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 34/ मन्त्र 55
    ऋषिः - कण्व ऋषिः देवता - अध्यात्मं प्राणा देवताः छन्दः - भुरिग् जगती स्वरः - निषादः
    0

    स॒प्तऽऋष॑यः॒ प्रति॑हिताः॒ शरी॑रे स॒प्त र॑क्षन्ति॒ सद॒मप्र॑मादम्।स॒प्तापः॒ स्वप॑तो लो॒कमी॑यु॒स्तत्र॑ जागृतो॒ऽअस्व॑प्नजौ सत्र॒सदौ॑ च दे॒वौ॥५५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒प्त। ऋष॑यः। प्रति॑हिता॒ इति॒ प्रति॑ऽहिताः। शरी॑रे। स॒प्त। र॒क्ष॒न्ति॒। सद॑म्। अप्र॑माद॒मित्य॑प्रऽमादम् ॥ स॒प्त। आपः॑। स्वप॑तः। लो॒कम्। ई॒युः॒। तत्र॑। जा॒गृ॒तः॒। अस्व॑प्नजा॒वित्यस्व॑प्नऽजौ। स॒त्र॒सदा॒विति॑ स॒त्र॒ऽसदौ॑। च॒। दे॒वौ ॥५५ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सप्तऽऋषयः प्रतिहिताः शरीरे सप्त रक्षन्ति सदमप्रमादम् । सप्तापः स्वपतो लोकमीयुस्तत्र जागृतोऽअस्वप्नजौ सत्रसदौ च देवौ ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सप्त। ऋषयः। प्रतिहिता इति प्रतिऽहिताः। शरीरे। सप्त। रक्षन्ति। सदम्। अप्रमादमित्यप्रऽमादम्॥ सप्त। आपः। स्वपतः। लोकम्। ईयुः। तत्र। जागृतः। अस्वप्नजावित्यस्वप्नऽजौ। सत्रसदाविति सत्रऽसदौ। च। देवौ॥५५॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 34; मन्त्र » 55
    Acknowledgment

    Meaning -
    Seven Rishis are established in the body ; these seven guard it with unceasing care. These seven enter the soul in the body of him who lies asleep. At that time two sleepless gods, the protectors of soul, keep waking.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top