Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 619
ऋषिः - वामदेवो गौतमः
देवता - पुरुषः
छन्दः - अनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
काण्ड नाम - आरण्यं काण्डम्
6
पु꣡रु꣢ष ए꣣वे꣢꣫दꣳ सर्वं꣣ य꣢द्भू꣣तं꣢꣫ यच्च꣣ भा꣡व्य꣢म् । पा꣡दो꣢ऽस्य꣣ स꣡र्वा꣢ भू꣣ता꣡नि꣢ त्रि꣣पा꣡द꣢स्या꣣मृ꣡तं꣢ दि꣣वि꣢ ॥६१९॥
स्वर सहित पद पाठपु꣡रु꣢꣯षः । ए꣣व꣢ । इ꣣द꣢म् । स꣡र्व꣢꣯म् । यत् । भू꣣त꣢म् । यत् । च꣣ । भा꣡व्य꣢꣯म् । पा꣡दः꣢꣯ । अ꣣स्य । स꣡र्वा꣢꣯ । भू꣣ता꣡नि꣢ । त्रि꣣पा꣢त् । त्रि꣣ । पा꣢त् । अ꣣स्य । अमृ꣡त꣢म् । अ꣣ । मृ꣡त꣢꣯म् । दि꣣वि꣢ ॥६१९॥
स्वर रहित मन्त्र
पुरुष एवेदꣳ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् । पादोऽस्य सर्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥६१९॥
स्वर रहित पद पाठ
पुरुषः । एव । इदम् । सर्वम् । यत् । भूतम् । यत् । च । भाव्यम् । पादः । अस्य । सर्वा । भूतानि । त्रिपात् । त्रि । पात् । अस्य । अमृतम् । अ । मृतम् । दिवि ॥६१९॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 619
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » 4; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 6; खण्ड » 4;
Acknowledgment
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » 4; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 6; खण्ड » 4;
Acknowledgment
पदार्थ -
(पुरुषे-एव) पूर्ण पुरुष परमात्मा के अन्दर ही (इदं सर्वम्) यह सब जगत् है (यत्-भूतं यत्-च भाव्यम्) जो उत्पन्न हुआ, जो उत्पन्न होने वाला है, अतः (सर्वा भूतानि-अस्य पादः) सारी उत्पन्न वस्तुएँ और जो उत्पन्न होने वाली हैं इस पूर्ण पुरुष परमात्मा का पादमात्र है—एक देश या एक अंश मात्र है (अस्य त्रिपात्) इसका तीन पाद जो भूत भविष्य से परे न उत्पन्न होने वाला अभौतिक (अमृतं दिवि) मृतरहित—स्थिर द्योतनात्मक मोक्षधाम में है।
भावार्थ - पूर्ण पुरुष परमात्मा में जो यह उत्पन्न हुआ या उत्पन्न होने वाला जगत् है जिसके अन्दर सब ही जड़ जङ्गम हैं, परमात्मा का एक पाद—एक देश में वर्तमान होने से एक अंश मात्र है, परन्तु इसका पादत्रय—तीन पाद वाला स्वरूप अमृतानन्द इस भौतिक जगत् से परे है अभौतिक द्योतनात्मक स्वस्वरूप में या मोक्षधाम में है॥५॥
विशेष - ऋषिः—नारायणः (नाराः—नर जिसके सूनुसन्तान हैं ऐसे “आपः-नाराः” अयनज्ञान का आश्रय जिसका हो)॥ देवता—पुरुषः (सृष्टिपुर में बसा हुआ पूर्णपुरुष परमात्मा)॥ छन्दः—अनुष्टुप्॥<br>
इस भाष्य को एडिट करें