Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1445
ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
6
ह꣡स्त꣢च्युतेभि꣣र꣡द्रि꣢भिः सु꣣त꣡ꣳ सोमं꣢꣯ पुनीतन । म꣢धा꣣वा꣡ धा꣢वता꣣ म꣡धु꣢ ॥१४४५॥
स्वर सहित पद पाठह꣡स्त꣢꣯च्युतेभिः । ह꣡स्त꣢꣯ । च्यु꣣तेभिः । अ꣡द्रि꣢꣯भिः । अ । द्रि꣣भिः । सुत꣢म् । सो꣡म꣢꣯म् । पु꣣नीतन । पुनीत । न । म꣡धौ꣢꣯ । आ । धा꣣वत । म꣡धु꣢꣯ ॥१४४५॥
स्वर रहित मन्त्र
हस्तच्युतेभिरद्रिभिः सुतꣳ सोमं पुनीतन । मधावा धावता मधु ॥१४४५॥
स्वर रहित पद पाठ
हस्तच्युतेभिः । हस्त । च्युतेभिः । अद्रिभिः । अ । द्रिभिः । सुतम् । सोमम् । पुनीतन । पुनीत । न । मधौ । आ । धावत । मधु ॥१४४५॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1445
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 3; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 13; खण्ड » 2; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 3; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 13; खण्ड » 2; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
Meaning -
As soma juice is extracted with stones worked by hands, refined and seasoned with honey and milk, so O lord, let my mind be refined and purified with repeated chants of the sacred voice, and let it be sanctified with the honey of devotion and let it be absorbed in the honey sweet of divinity. (Rg. 9-11-5)