Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 74 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 74/ मन्त्र 9
    ऋषिः - गोतमो राहूगणः देवता - अग्निः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    उ॒त द्यु॒मत्सु॒वीर्यं॑ बृ॒हद॑ग्ने विवाससि। दे॒वेभ्यो॑ देव दा॒शुषे॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒त । द्यु॒ऽमत् । सु॒ऽवीर्य॑म् । बृ॒हत् । अ॒ग्ने॒ । वि॒वा॒स॒सि॒ । दे॒वेभ्यः॑ । दे॒व॒ । दा॒शुषे॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उत द्युमत्सुवीर्यं बृहदग्ने विवाससि। देवेभ्यो देव दाशुषे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उत। द्युऽमत्। सुऽवीर्यम्। बृहत्। अग्ने। विवाससि। देवेभ्यः। देव। दाशुषे ॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 74; मन्त्र » 9
    अष्टक » 1; अध्याय » 5; वर्ग » 22; मन्त्र » 4

    भावार्थ - कार्याधिपतीनी विद्वानांच्या साह्याने विद्या व पुरुषार्थ करून विद्वानांवर व सेवकांवर महान उपकार करावेत. ॥ ९ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top