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ऋग्वेद मण्डल - 2 के सूक्त 21 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 2/ सूक्त 21/ मन्त्र 1
    ऋषिः - गृत्समदः शौनकः देवता - इन्द्र: छन्दः - स्वराट्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    वि॒श्व॒जिते॑ धन॒जिते॑ स्व॒र्जिते॑ सत्रा॒जिते॑ नृ॒जित॑ उर्वरा॒जिते॑। अ॒श्व॒जिते॑ गो॒जिते॑ अ॒ब्जिते॑ भ॒रेन्द्रा॑य॒ सोमं॑ यज॒ताय॑ हर्य॒तम्॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि॒श्व॒ऽजिते॑ । ध॒न॒ऽजिते॑ । स्वः॒ऽजिते॑ । स॒त्रा॒ऽजिते॑ । नृ॒ऽजिते॑ । उ॒र्व॒रा॒ऽजिते॑ । अ॒श्व॒ऽजिते॑ । गो॒ऽजिते॑ । अ॒प्ऽजिते॑ । भ॒र॒ । इन्द्रा॑य । सोम॑म् । य॒ज॒ताय॑ । ह॒र्य॒तम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विश्वजिते धनजिते स्वर्जिते सत्राजिते नृजित उर्वराजिते। अश्वजिते गोजिते अब्जिते भरेन्द्राय सोमं यजताय हर्यतम्॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विश्वऽजिते। धनऽजिते। स्वःऽजिते। सत्राऽजिते। नृऽजिते। उर्वराऽजिते। अश्वऽजिते। गोऽजिते। अप्ऽजिते। भर। इन्द्राय। सोमम्। यजताय। हर्यतम्॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 2; सूक्त » 21; मन्त्र » 1
    अष्टक » 2; अध्याय » 6; वर्ग » 27; मन्त्र » 1

    पदार्थ -
    १. उस (विश्वजिते) = सब का विजय करनेवाले (यजताय) = उपास्य (इन्द्राय) = सर्वशक्तिमान् प्रभु के लिए (हर्यतम्) = कमनीय- चाहने योग्य व सुन्दर (सोमं भर) = सोम का भरण करो। सोम के शरीर में रक्षण द्वारा ही ज्ञानाग्नि की दीप्ति होकर प्रभु की प्राप्ति होती है। वे प्रभु विश्वविजयी हैं। प्रभु की प्राप्ति से हम भी विश्वविजेता बनते हैं । २. उस प्रभु की प्राप्ति के लिए सोम का भरण करो जो कि (धनजिते) = सब धनों का विजय करनेवाले हैं। (स्वर्जिते) = प्रकाश व स्वर्ग का विजय करनेवाले हैं । प्रभुप्राप्ति से प्रकाश की प्राप्ति होती है- जीवन स्वर्गतुल्य, सुखसम्पन्न बनता है । (सत्राजिते) = वे प्रभु सदा विजय प्राप्त करनेवाले हैं। (नृजिते) शत्रुओं के नायकों को पराजित करनेवाले हैं। ३. उपासकों के लिए (उर्वराजिते) = सर्वसस्याढ्या [fertile] उपजाऊ भूमि को प्राप्त करानेवाले हैं। (अश्वजिते गोजिते) = घोड़ों व गौओं को प्राप्त करानेवाले हैं तथा अब्जिते उत्तम जलों को देनेवाले हैं। अध्यात्म में नवनवोन्मेषशालिनी बुद्धि ही 'उर्वरा' है, कर्मेन्द्रियाँ 'अश्व' हैं, ज्ञानेन्द्रियाँ 'गौवें' हैं तथा रेतः कण 'आपः ' हैं। प्रभु 'बुद्धि-उत्तम कर्मेन्द्रियों, ज्ञानेन्द्रियों व रेतः कणों' को प्राप्त कराते हैं।

    भावार्थ - भावार्थ - प्रभु विश्वजित् हैं। उपासक प्रभु को प्राप्त करने के द्वारा सब कुछ ही प्राप्त कर लेता है।

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