Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 2 के सूक्त 23 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 2/ सूक्त 23/ मन्त्र 19
    ऋषिः - गृत्समदः शौनकः देवता - ब्रह्मणस्पतिः छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    ब्रह्म॑णस्पते॒ त्वम॒स्य य॒न्ता सू॒क्तस्य॑ बोधि॒ तन॑यं च जिन्व। विश्वं॒ तद्भ॒द्रं यदव॑न्ति दे॒वा बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः॑॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ब्रह्म॑णः । प॒ते॒ । त्वम् । अ॒स्य । य॒न्ता । सु॒ऽउ॒क्तस्य॑ । बो॒धि॒ । तन॑यम् । च॒ । जि॒न्व॒ । विश्व॑म् । तत् । भ॒द्रम् । यत् । अव॑न्ति । दे॒वाः । बृ॒हत् । व॒दे॒म॒ । वि॒दथे॑ । सु॒ऽवीराः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ब्रह्मणस्पते त्वमस्य यन्ता सूक्तस्य बोधि तनयं च जिन्व। विश्वं तद्भद्रं यदवन्ति देवा बृहद्वदेम विदथे सुवीराः॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ब्रह्मणः। पते। त्वम्। अस्य। यन्ता। सुऽउक्तस्य। बोधि। तनयम्। च। जिन्व। विश्वम्। तत्। भद्रम्। यत्। अवन्ति। देवाः। बृहत्। वदेम। विदथे। सुऽवीराः॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 2; सूक्त » 23; मन्त्र » 19
    अष्टक » 2; अध्याय » 6; वर्ग » 32; मन्त्र » 4

    पदार्थ -
    १. हे (ब्रह्मणस्पते) = ज्ञान के स्वामिन् प्रभो ! (त्वम्) = आप ही (अस्य सूक्तस्य) = इस सूक्त के उत्तम ज्ञानमयी वाणी के (यन्ता) = प्राप्त करानेवाले हैं। (बोधि) = आप हमारा भी ध्यान करिए। (च) = और (तनयं जिन्व) = आपके सन्तानरूप हमको प्रीणित करिए। आपने ही तो हमें ज्ञान देना है। २. आपसे ज्ञान प्राप्त करनेवाले (देवा:) = देववृत्ति के पुरुष (यद् अवन्ति) = जिस बात का अपने में रक्षण करते हैं (विश्वं तद् भद्रम्) = वह सब भद्र ही है। उनका जीवन उत्तम बातों से ही परिपूर्ण होता है । अतः हम भी (सुवीराः) = उत्तम वीर बनकर विदथे ज्ञानयज्ञों में (बृहद् वदेम) = खूब ही आपके स्तोत्रों का उच्चारण करें। आपका स्तवन करते हुए हम देव बनें। देव बनकर अपने में शुभ का धारण करें। इस प्रकार अपने जीवन को भद्र बनानेवाले हों ।

    भावार्थ - भावार्थ - प्रभु ही ज्ञान देते हैं-ज्ञान देकर वे हमारे जीवन को भद्र बनाते हैं । सम्पूर्ण सूक्त प्रभु का स्तवन करता हुआ प्रभु से जीवनयात्रा की निर्विघ्न पूर्ति के लिए प्रार्थना करता है। उसी के लिए ज्ञान, शक्ति, धन आदि की याचना करता है। अगले सूक्त का भी यही विषय है। प्रस्तुत सूक्त का अन्तिम मन्त्र अगले सूक्त का भी अन्तिम मन्त्र है।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top