ऋग्वेद - मण्डल 3/ सूक्त 7/ मन्त्र 1
प्र य आ॒रुः शि॑तिपृ॒ष्ठस्य॑ धा॒सेरा मा॒तरा॑ विविशुः स॒प्त वाणीः॑। प॒रि॒क्षिता॑ पि॒तरा॒ सं च॑रेते॒ प्र स॑र्स्राते दी॒र्घमायुः॑ प्र॒यक्षे॑॥
स्वर सहित पद पाठप्र । ये । आ॒रुः । शि॒ति॒ऽपृ॒ष्ठस्य॑ । धा॒सेः । आ । मा॒तरा॑ । वि॒वि॒शुः॒ । स॒प्त । वाणीः॑ । प॒रि॒ऽक्षिताः॑ । पि॒तरा॑ । सम् । च॒रे॒ते॒ । प्र । स॒र्स्रा॒ते॒ इति॑ । दी॒र्घम् । आयुः॑ । प्र॒ऽयक्षे॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
प्र य आरुः शितिपृष्ठस्य धासेरा मातरा विविशुः सप्त वाणीः। परिक्षिता पितरा सं चरेते प्र सर्स्राते दीर्घमायुः प्रयक्षे॥
स्वर रहित पद पाठप्र। ये। आरुः। शितिऽपृष्ठस्य। धासेः। आ। मातरा। विविशुः। सप्त। वाणीः। परिऽक्षिताः। पितरा। सम्। चरेते। प्र। सर्स्राते इति। दीर्घम्। आयुः। प्रऽयक्षे॥
ऋग्वेद - मण्डल » 3; सूक्त » 7; मन्त्र » 1
अष्टक » 3; अध्याय » 1; वर्ग » 1; मन्त्र » 1
अष्टक » 3; अध्याय » 1; वर्ग » 1; मन्त्र » 1
विषय - माता-पिता का संचरण
पदार्थ -
[१] (ये) = जो (प्र आरु:) = प्रकृष्ट मार्ग पर चलते हैं उस प्रभु के प्रकृष्ट मार्ग पर जो कि (शितिपृष्ठस्य) = [शिति= White] देदीप्यमान पृष्ठवाले हैं, अर्थात् चमकते हैं और (धासे:) = धारण करनेवाले हैं। प्रभु की कल्पना प्रकाश के ही रूप में होती है। वे प्रभु सूर्य की तरह दीप्त हैं 'आदित्यवर्ण' हैं। [२] (ये) = जो (मातरा) = द्युलोक व पृथिवीलोक में (विविशुः) = प्रवेश करते हैं, मस्तिष्क व शरीर का उत्तम निर्माण करते हैं और (सप्त वाणीः) = सात छन्दों में प्रतिपादित वेदवाणियों में प्रवेश करते हैं । [३] इनके जीवन में (परिक्षिता) = चारों ओर वर्तमान व्याप्त (पितरा) = द्युलोक व पृथ्वीलोक (संचरेते) = मिलकर गतिवाले होते हैं, अर्थात् यह मस्तिष्क और शरीर दोनों की समन्वित उन्नति करनेवाला होता है। मस्तिष्क में ब्रह्म तथा शरीर में क्षेत्र का विकास करता है। इस प्रकार विकसित हुए हुए ब्रह्म और क्षत्र इसके (आयुः) = जीवन को (प्रयक्षे) = प्रकृष्ट यज्ञों की सिद्धि के लिये (दीर्घं प्रसस्रते) = अत्यन्त दीर्घ कर देते हैं, अर्थात् यह व्यक्ति दीर्घजीवन को प्राप्त करता है और उस जीवन में यज्ञशील होता है ।
भावार्थ - भावार्थ- हम प्रभु के मार्ग पर चलें, शरीर व मस्तिष्क दोनों के विकास का ध्यान करें, वेद का स्वाध्याय करें (ज्ञानोपार्जन करें) इससे हमारे में ब्रह्म व क्षत्र का विकास होकर हमें दीर्घ जीवन प्राप्त होगा और वह जीवन यज्ञमय होगा।
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