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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 6 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 6/ मन्त्र 2
    ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    अ॒भि त्यं मद्यं॒ मद॒मिन्द॒विन्द्र॒ इति॑ क्षर । अ॒भि वा॒जिनो॒ अर्व॑तः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒भि । त्यम् । मद्य॑म् । मद॑म् । इन्दो॒ इति॑ । इन्द्रः॑ । इति॑ । क्ष॒र॒ । अ॒भि । वा॒जिनः॑ । अर्व॑तः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अभि त्यं मद्यं मदमिन्दविन्द्र इति क्षर । अभि वाजिनो अर्वतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अभि । त्यम् । मद्यम् । मदम् । इन्दो इति । इन्द्रः । इति । क्षर । अभि । वाजिनः । अर्वतः ॥ ९.६.२

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 6; मन्त्र » 2
    अष्टक » 6; अध्याय » 7; वर्ग » 26; मन्त्र » 2

    पदार्थ -
    (इन्दो) हे प्रेममय (इन्द्र) परमात्मन् ! आप (त्यं, मदं, मद्यम्) उस आह्लादजनक अपने प्रेममय मद की (अभि क्षर) वृष्टि करें, जो (अभिवाजिनः) सब बलकारक वस्तुओं में से हमारे योग्य है (अर्वतः) और जो ऐश्वर्य द्वारा व्याप्त करानेवाला है ॥

    भावार्थ - इस मन्त्र में सर्वोपरि हर्षजनक परमात्मा के प्रेम की प्रार्थना की गयी है ॥२॥

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