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  • यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 63
    ऋषिः - मधुच्छन्दा ऋषिः देवता - निर्ऋतिर्देवता छन्दः - भुरिगार्षी पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
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    नमः॒ सु ते॑ निर्ऋते तिग्मतेजोऽय॒स्मयं॒ विचृ॑ता ब॒न्धमे॒तम्। य॒मेन॒ त्वं य॒म्या सं॑विदा॒नोत्त॒मे नाके॒ऽअधि॑ रोहयैनम्॥६३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नमः। सु। ते॒। नि॒र्ऋ॒त॒ इति॑ निःऽऋते। ति॒ग्म॒ते॒ज॒ इति॑ तिग्मऽतेजः। अ॒य॒स्मय॑म्। वि। चृ॒त॒। ब॒न्धम्। ए॒तम्। य॒मेन॑। त्वम्। य॒म्या। सं॒वि॒दा॒नेति॑ सम्ऽविदा॒ना। उ॒त्त॒म इत्यु॑त्ऽत॒मे। नाके॑। अधि॑। रो॒ह॒य॒। ए॒न॒म् ॥६३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नमः सु ते निरृते तिग्मतेजो यस्मयँ वि चृता बन्धमेतम् । यमेन त्वँयम्या सँविदानोत्तमे नाके अधि रोहयैनम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    नमः। सु। ते। निर्ऋत इति निःऽऋते। तिग्मतेज इति तिग्मऽतेजः। अयस्मयम्। वि। चृत। बन्धम्। एतम्। यमेन। त्वम्। यम्या। संविदानेति सम्ऽविदाना। उत्तम इत्युत्ऽतमे। नाके। अधि। रोहय। एनम्॥६३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 12; मन्त्र » 63
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    पदार्थ -
    १. हे (तिग्मतेजः) = तीव्र तेजवाली (निर्ऋते) = आपत्ते ! हम (ते) = तेरे लिए (सु) = उत्तमता से (नमः) = नतमस्तक होते हैं। तू (एतम्) = इस (अयस्मयं बन्धनम्) = लोहमय बन्धन को (विचृत) = छिन्न कर दे। आपत्ति व कष्ट का दर्शन यह है कि यह आपत्ति मनुष्य को पाप के बन्धन से मुक्त करने के लिए आती है। 'साम, दाम, भेद, दण्ड' ये चार ही उपाय हैं। जब इनमें से प्रथम तीन उपायों से कार्य नहीं चलता तब प्रभु 'दण्ड' रूप चौथे उपाय का प्रयोग करते हैं। इन्हीं दण्डों को हम कष्ट व आपत्ति कहते हैं। इस आपत्ति का तेज अत्यन्त तीव्र है। यह हमारे लोहे के समान दृढ़ विषय बन्धनों को भी काट देता है। २. यह निर्ऋति कृच्छ्रापत्ति उन्हीं को पीड़ित नहीं करती जिनका जीवन संयमी होता है। उनके साथ तो मानो आपत्ति का समझौता - सा हुआ हो। हे निर्ऋते ! (त्वम्) = तू (यमेन) = संयमी जीवनवाले पुरुष से तथा (यम्या) = संयमी जीवनवाली स्त्री से (संविदाना) = संज्ञान व समझौते को प्राप्त हुई (एनम्) = इसे उत्तमे (नाके) = सर्वोत्कृष्ट स्वर्ग में (अधिरोह) = स्थापित कर । वस्तुतः संयम ही वह गुण है जो हमें कष्टों से बचाकर सुखमय स्थिति में रखता है।

    भावार्थ - भावार्थ- प्रभु के दण्ड भी आदरणीय हैं। वे हमें विषयों के लोह- समान दृढ़ बन्धनों से भी मुक्त करते हैं। विषयों से मुक्त होकर संयमी जीवनवाले बनकर ही हम स्वर्ग के अधिकारी होते हैं।

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