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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 765
ऋषिः - त्रित आप्त्यः
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
4
अ꣣भि꣡ द्रोणा꣢꣯नि ब꣣भ्र꣡वः꣢ शु꣣क्रा꣢ ऋ꣣त꣢स्य꣣ धा꣡र꣢या । वा꣢जं꣣ गो꣡म꣢न्तमक्षरन् ॥७६५॥
स्वर सहित पद पाठअ꣣भि꣢ । द्रो꣡णा꣢꣯नि । ब꣣भ्र꣡वः꣢ । शु꣣क्रा꣢ । ऋ꣣त꣡स्य꣢ । धा꣡र꣢꣯या । वा꣡ज꣢꣯म् । गो꣡म꣢꣯न्तम् । अ꣡क्षरन् ॥७६५॥
स्वर रहित मन्त्र
अभि द्रोणानि बभ्रवः शुक्रा ऋतस्य धारया । वाजं गोमन्तमक्षरन् ॥७६५॥
स्वर रहित पद पाठ
अभि । द्रोणानि । बभ्रवः । शुक्रा । ऋतस्य । धारया । वाजम् । गोमन्तम् । अक्षरन् ॥७६५॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 765
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 19; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 6; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 19; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 6; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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विषय - देवों का जीवन [They fill themselves with knowledge and power]
पदार्थ -
महनीय पुरुषों =देवों का जीवन निम्न प्रकार से चलता है -
१. (अभि द्रोणानि) = यज्ञ की ओर, राष्ट्र की ओर तथा प्राणशक्ति की ओर । ये कोई भी ऐसा कार्य नहीं करते जो इनकी प्राणशक्ति में न्यूनता लानेवाला हो। अपनी प्राणशक्ति को बढ़ाकर ये सब कार्य राष्ट्र के हित के दृष्टिकोण से करते हैं, एवं इनके सब कार्य यज्ञरूप हो जाते हैं । द्रोणशब्द ब्राह्मणग्रन्थों में ‘प्राण व राष्ट्र' का वाचक माना गया है। २. (बभ्रवः) = तेजस्वी व धारण करनेवाले। ये तेजस्वी बनते हैं और अपने तेज का विनियोग औरों के धारण, अर्थात् रक्षण में करते हैं । ३. (शुक्राः) = शीघ्र कार्यकर्त्ता व मूर्त्तिमान् तेज । वीर्य की रक्षा के द्वारा ये तेजस्वी बन शीघ्र कार्य करनेवाले होते हैं। इनमें आलस्य का नाम व चिह्न भी नहीं होता। ४. (ऋतस्य धारया) = ऋत के धारण से, अर्थात् प्रत्येक कार्य को बड़े नियमितरूप में करते हैं । ५. (गोमन्तम् वाजम्) = वेदवाणियों से युक्त शक्ति को, अर्थात् ज्ञान व बल को अक्षरन्-अपने में टपकाते हैं । [गाव:-वेदवाच:] । अपने अन्दर शक्ति व ज्ञान को भरने के लिए ये अपने जीवन को बड़ा नियमित बनाते हैं ।
भावार्थ -
यज्ञ, तेजस्विता, अनालस्य, नियमितता तथा ज्ञानयुक्त बन – इन पाँच बातों से अपने जीवन को युक्त करनेवाले हम अपने ‘पञ्चजन' इस नाम को चरितार्थ करें ।
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