Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 8 के सूक्त 16 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 16/ मन्त्र 1
    ऋषिः - इरिम्बिठिः काण्वः देवता - इन्द्र: छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    प्र स॒म्राजं॑ चर्षणी॒नामिन्द्रं॑ स्तोता॒ नव्यं॑ गी॒र्भिः । नरं॑ नृ॒षाहं॒ मंहि॑ष्ठम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्र । स॒म्ऽराज॑म् । च॒र्ष॒णी॒नाम् । इन्द्र॑म् । स्तोता॑ । नव्य॑म् । गीः॒ऽभिः । नर॑म् । नृ॒ऽसाह॑म् । मंहि॑ष्ठम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्र सम्राजं चर्षणीनामिन्द्रं स्तोता नव्यं गीर्भिः । नरं नृषाहं मंहिष्ठम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्र । सम्ऽराजम् । चर्षणीनाम् । इन्द्रम् । स्तोता । नव्यम् । गीःऽभिः । नरम् । नृऽसाहम् । मंहिष्ठम् ॥ ८.१६.१

    ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 16; मन्त्र » 1
    अष्टक » 6; अध्याय » 1; वर्ग » 20; मन्त्र » 1

    भावार्थ -
    ( चर्षणीनाम् सम्राजं ) समस्त ज्ञानदर्शी, तत्व ज्ञानी मनुष्यों के बीच में अच्छी प्रकार प्राप्त होने वाले, सम्राट् के समान सर्वोपरि शोभायमान, ( इन्द्रं ) ऐश्वर्यवान्, ( नव्यं ) स्तुति योग्य ( नरं ) नायक, परम पुरुष ( नृ-साहं ) मनुष्यों को वश करने वाले ( मंहिष्ठम् ) अतिदानशील पुरुष, प्रभु का ( गीर्भिः स्तोत ) वेद वाणियों से स्तुति किया करो।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - इरिम्बठिः काण्व ऋषिः॥ इन्द्रो देवता॥ छन्दः—१, ९—१२ गायत्री। २—७ निचृद् गायत्री। ८ विराड् गायत्री॥ द्वादशर्चं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top