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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 37 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 37/ मन्त्र 6
    ऋषिः - बादरायणिः देवता - अजशृङ्ग्योषधिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - कृमिनाशक सूक्त
    16

    एयम॑ग॒न्नोष॑धीनां वी॒रुधां॑ वी॒र्या॑वती। अ॑जशृ॒ङ्ग्य॑राट॒की ती॑क्ष्णशृ॒ङ्गी व्यृ॑षतु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । इ॒यम् । अ॒ग॒न् । ओष॑धीनाम् । वी॒रुधा॑म् । वी॒र्य᳡ऽवती । अ॒ज॒ऽशृ॒ङ्गी । अ॒रा॒ट॒की । ती॒क्ष्ण॒ऽशृ॒ङ्गी । वि । ऋ॒ष॒तु॒ ॥३७.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एयमगन्नोषधीनां वीरुधां वीर्यावती। अजशृङ्ग्यराटकी तीक्ष्णशृङ्गी व्यृषतु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ । इयम् । अगन् । ओषधीनाम् । वीरुधाम् । वीर्यऽवती । अजऽशृङ्गी । अराटकी । तीक्ष्णऽशृङ्गी । वि । ऋषतु ॥३७.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 37; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    गन्धर्व और अप्सराओं के गुणों का उपदेश।

    पदार्थ

    (ओषधीनाम्) तापनाशक (वीरुधाम्) विविध प्रकार से उगनेवाली प्रजाओं के बीच (वीर्यावती) बड़ी सामर्थ्यवाली (इयम्) यह शक्ति (आ अगन्) प्राप्त हुई है। वही (अजशृङ्गी) जीवात्मा का दुःख काटनेवाली, (अराटकी) शीघ्र प्राप्त होनेवाली, (तीक्ष्णशृङ्गी) बड़े तेजवाली शक्ति परमेश्वर (वि ऋषतु) व्याप्त होवे ॥६॥

    भावार्थ

    परमपिता परमेश्वर की शक्ति सब पदार्थों में व्यापक है, उसके ज्ञान से हम लोग अपनी उन्नति करें ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(इयम्) समीपे वर्तमाना (आ अगन्) गमेर्लुङि छान्दसं रूपम्। आगमत्। आगता (ओषधीनाम्) तापनाशयित्रीणां मध्ये (वीरुधाम्) विरोहणशीलानां प्रजानां मध्ये (वीर्यावती) छान्दसो दीर्घः। अतिशयेन सामर्थ्ययुक्ता (अजशृङ्गी) म० २। अजस्य जीवात्मनो दुःखनाशनी शक्तिः (अराटकी) कृञादिभ्यः संज्ञायां वुन्। उ० ५।३५। इति अर+अट गतौ-वुन्। ङीष्। अरं शीघ्रम् अटति सा। शीघ्रगामिनी (तीक्ष्णशृङ्गी) म० २। शृङ्गाणि ज्वलतोनाम-निघ० १।१७। तीव्रतेजाः (वि ऋषथुः) ऋषी गतौ। व्याप्नोतु ॥

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    विषय

    अजशंगी-अराटकी

    पदार्थ

    १. (ओषधीनाम्) = दोषों का दहन करनेवाली (वीरुधाम्) = विरोहण स्वभाववाली लताओं में (इयम्) = यह (वीर्यावती) = अतिशयित सामर्थ्यवाली अजशंगी नामवाली ओषधि (आ आगन्) = प्राप्त हुई है। २. (अराटकी) = [अरान् आटयति] शरीर में कुत्सित गति करनेवाले कृमियों का नाश करने वाली (तीक्ष्णशंगी) = उग्र गन्धवाली व शृंगाकृति फलोंवाली यह (अज्रशंगी व्यषतु) = रोगकृमियों को [हिनस्तु] विशेषरूप से नष्ट करनेवाली हो।

    भावार्थ

    अजशृंगी ओषधि बड़ी शक्तिशाली है। यह रोगकृमियों को नष्ट करनेवाली है।

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    भाषार्थ

    (वीरुधाम्, ओषधीनाम्) विरोहणशील औषधियों में (वीर्यावती) बलवती, (अजशृङ्गी) बकरे के सदृश सींगोंवाली, अर्थात् (तीक्ष्णशृङ्गी) तीक्ष्ण सींगोंवाली (इयम्) यह (अराटकी) अराटी (अगन्) आ गई है, वह (व्यृषतु) रोग के कीटाणुओं का हिंसन करे।

    टिप्पणी

    [अराटिका नाम है औषधि का। शेष दो नाम, अराटिका के विशेषण हैं। अराटी ('वनौषधि-चन्द्रोदय', लेखक श्री चन्द्रराज भण्डारी, विशारद; (ज्ञानमन्दिर-भानपुरा)। व्यृषतु= वि+ऋषी गतौ (तुदादि:); विगत करे, नष्ट करे।]

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    विषय

    हानिकारक रोग-जन्तुओं के नाश का उपदेश।

    भावार्थ

    (वीरुधां) विशेष प्रकार से क्षुपरूप में भूमि पर अंकुरित होने वाली, (ओषधीनां) ओषधियों में से सब से अधिक (वीर्यावती) वीर्यवाली (इयम्) यह (अजशृङ्गी) अजश्रृङ्गी = काकड़ासिंगी (आ अगन्) हमें प्राप्त हुई हैं यह गुणों में (अराटकी) रोगनाशक (तीक्ष्ण-शृङ्गी) तीक्ष्ण स्वभाव होने से रोग जन्तुओं को विनाश करती है। वह (व्यृषतु) रोग जन्तुओं को नाना प्रकार के उपचारों से विनाश करे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    बादरायणिर्ऋषिः। अजशृङ्गी अप्सरो देवता। १, २, ४, ६, ८-१० अनुष्टुभौ। त्र्यवसाना षट्पदी त्रिष्टुप्। ५ प्रस्तारपंक्तिः। ७ परोष्णिक्। ११ षट्पदा जगती। १२ निचत्। द्वादशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Destroying Insects, Germs and Bacteria

    Meaning

    And here it is, most powerful of the herbs, ajashrngi, very efficacious, which destroys the subtle causes of disease at the fastest.

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    Translation

    Hither has come this herb, mighty among the creeping plánts -the ajasráhgi (goat-horned). May this sharp-horned and expeller of injurious ones destroy (the germs of pollution).

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    Translation

    Ajashringi which is destroyer of diseases and which is pungeant in nature being Tikshnashringa is most powerful among other medicinal plants, is a best curating medicine. Let it remove the effect of diseases.

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    Translation

    We have obtained this Ajsringi, the most effectual of herbs and plants. It cures diseases, and kills the disease-germs with its pungent smell. May it drive away the deadly germs.

    Footnote

    Ajsringi is known as kakrasingi.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(इयम्) समीपे वर्तमाना (आ अगन्) गमेर्लुङि छान्दसं रूपम्। आगमत्। आगता (ओषधीनाम्) तापनाशयित्रीणां मध्ये (वीरुधाम्) विरोहणशीलानां प्रजानां मध्ये (वीर्यावती) छान्दसो दीर्घः। अतिशयेन सामर्थ्ययुक्ता (अजशृङ्गी) म० २। अजस्य जीवात्मनो दुःखनाशनी शक्तिः (अराटकी) कृञादिभ्यः संज्ञायां वुन्। उ० ५।३५। इति अर+अट गतौ-वुन्। ङीष्। अरं शीघ्रम् अटति सा। शीघ्रगामिनी (तीक्ष्णशृङ्गी) म० २। शृङ्गाणि ज्वलतोनाम-निघ० १।१७। तीव्रतेजाः (वि ऋषथुः) ऋषी गतौ। व्याप्नोतु ॥

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