अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 23/ मन्त्र 8
ह॒तो येवा॑षः॒ क्रिमी॑णां ह॒तो न॑दनि॒मोत। सर्वा॒न्नि म॑ष्म॒षाक॑रं दृ॒षदा॒ खल्वाँ॑ इव ॥
स्वर सहित पद पाठह॒त: । येवा॑ष: । क्रिमी॑णाम् । ह॒त: । न॒द॒नि॒मा । उ॒त । सर्वा॑न् । नि । म॒ष्म॒षा । अ॒क॒र॒म् । दृ॒षदा॑ । खल्वा॑न्ऽइव ॥२३.८॥
स्वर रहित मन्त्र
हतो येवाषः क्रिमीणां हतो नदनिमोत। सर्वान्नि मष्मषाकरं दृषदा खल्वाँ इव ॥
स्वर रहित पद पाठहत: । येवाष: । क्रिमीणाम् । हत: । नदनिमा । उत । सर्वान् । नि । मष्मषा । अकरम् । दृषदा । खल्वान्ऽइव ॥२३.८॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
छोटे-छोटे दोषों के नाश का उपदेश।
पदार्थ
(क्रिमीणाम्) कीड़ों में से (येवाषः=एवाषः) शीघ्रगामी (हतः) मारा गया, (उत) और (नदनिमा) नाद करनेवाला (हतः) मारा गया। (सर्वान्) सब (कीड़ों) को (मष्मषा) मसल-मसल कर (नि अकरम्) मैंने नष्ट कर दिया है, (खल्वान् इव) जैसे चनों को (दृषदा) शिला से [दल डालते हैं] ॥८॥
भावार्थ
मनुष्य अपने सब कुसंस्कारों का नाश करे, जैसे वैद्य रोगजन्तुओं को नष्ट करता है ॥८॥
टिप्पणी
८−(हतः) नाशितः (येवाषः) एव+अषः−म० ७। शीघ्रगामी (क्रिमीणाम्) कीटानां मध्ये (नदनिमा) नदनं करोति नदनयिता। तत्करोति तदाचष्टे। वा० पा० ३।१।२६। इति नदन−णिच्। हृभृघृसृ०। उ० ४।१४८। इति इमनिच्, णिलोपः। नादकर्ता (उत) अपिच (सर्वान्) सकलान् क्रिमीन् (मष्मषा) मष वधे−सम्पदादित्वात् क्विप्। आबाधे च। पा० ८।१।१०। इति द्वित्वम्। अत्यन्तहननेन (नि अकरम्) अहं निराकृतवान् नाशितवान् (दृषदा) अ० २।३१।१। शिलया (खल्वान्) अ० २।३१।१। चणकान् (इव) यथा ॥
विषय
'येवाष व नदनिमा' को मसल देना
पदार्थ
१. (क्रिमीणाम्) = कृमियों में यह (येवाष:) = बड़ी तीव्र गतिवाला कृमि (हत:) = मारा गया है, (उत) = और (नदनिमा) = यह शब्द करनेवाला, (चिर) = चिर-सी ध्वनि करनेवाला कमि (हतः) = मारा गया है। २. मैं (सर्वान्) = सब कृमियों को (मष्मषा) = मसल-मसलकर (नि अकरम्) = नष्ट कर देता हूँ, (इव) = जैसे (खल्वान्) = चों को (दृषदा) = एक पत्थर से दल देते हैं।
भावार्थ
कृमियों को उचित औषधोपचार से ऐसे मसलकर रख दिया जाए जैसेकि पत्थर से चनों को मसल दिया जाता है।
भाषार्थ
(क्रिमीणाम्) क्रिमियों में (येवाष:) सुप्तावस्था का जुगुप्सित क्रिमि (हतः) मार दिया है, (उत) तथा (नदनिमा) नाद करनेवाला अर्थात् जाग्रदवस्था का क्रिमि (हतः) मार दिया है। (सर्वान्) इस प्रकार सब क्रिमियों को (मष्मषा, नि+अकरम्) मैंने नितरां हिंसित कर दिया है, (इव) जैसेकि (दृषदा) पत्थर द्वारा (खल्वान्) चनों को पीस दिया जाता है। [हिंसित किया जाता है।]
टिप्पणी
[येवाष:= येवाषासः (मन्त्र ७)। मष्मषा=मष हिंसार्थः (भ्वादिः)। मष्मषा=मष का द्विर्वचनः मष+ अच्+टाप्। दृषदा=पत्थर द्वारा तथा सूर्य की रश्मियों द्वारा। यथा "इन्द्रस्य या मही दृषत् क्रिमेर्विश्वस्य तर्हणी। तथा पिनष्मि सं क्रिमीन्१ दृषदा खल्वाँ२ इव" (अथर्व० २.३१.१); इन्द्र अर्थात् सूर्य की 'मही दृषत्' है, रश्मिसमूह। अकरम्= "मैंने हिंसित कर दिया है" यह कथन किसी मनुष्य द्वारा हुआ है, वह सूर्य की रश्मिसमूह को 'कंस या मणि' द्वारा केन्द्रित कर क्रिमियों की हिंसा करता है। 'कंस या मणि' (निरुक्त ७.६.२३), वैश्वानर प्रकरण। मप्मषा=अथवा 'मप्मष्+ तृतीयैकवचन', हिंसित करनेवाले रश्मिसमूह रूपी 'दृषदा'। नदनिमा= कानों में नाद अर्थात् गूँज पैदा कर देनेवाला क्रिमी। यह स्वानुभूत है।] [१. क्रिमीन्=शरीरान्तर्गतान् सर्वान् क्षुद्रजन्तून (सायण)। २. खल्वान्=चणकान् (सायण)।]
विषय
रोगकारी जन्तुओं के नाश का उपदेश।
भावार्थ
उक्त प्रकार के विषैले जन्तुओं के नाश का उपदेश करते हैं। (क्रिमीणां) रोगकारक क्रिमियों में से (येवाषः) सरक सरक कर चलने वाला कृमि (हतः) मार दिया जाता है। (उत) और (नदनिमा) शब्द करने वाला, चिर-चिराने वाला जन्तु भी (हतः) मार दिया जाता है। (दृषदा) शिला या चक्की के पाट से (खल्वान् इव) चनों को जिस प्रकार दल दिया जाता है उसी प्रकार मैं रोग-जन्तुओं का नाशक वैद्य भी उन रोगकारी (सर्वान्) समस्त कीटों को (मष्मषा अकरम्) विनष्ट कर डालूं।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
कण्व ऋषिः। क्रिमिजम्भनाय देवप्रार्थनाः। इन्द्रो देवता। १-१२ अनुष्टुभः ॥ १३ विराडनुष्टुप। त्रयोदशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Destruction of Germs
Meaning
Destroyed are the fast ones, and destroyed are those that cause intolerable pain. All of them I have crushed as gram grain is crushed with stone.
Translation
Among the worms the yevasah have been killed; nadaniman also has been killed. I have crushed all of them to pieces, just as grains (grams) with stones.
Translation
Slain the Eavasa of the worms and slain is the nadaniman of the worms. I crush them all like the pounding slone which crushes the grains.
Translation
Slain the fast-moving of the worms, slain too is the crying worm. I have reduced them all to dust like vetches with the pounding-stone.
Footnote
‘I’ refers to the physician.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
८−(हतः) नाशितः (येवाषः) एव+अषः−म० ७। शीघ्रगामी (क्रिमीणाम्) कीटानां मध्ये (नदनिमा) नदनं करोति नदनयिता। तत्करोति तदाचष्टे। वा० पा० ३।१।२६। इति नदन−णिच्। हृभृघृसृ०। उ० ४।१४८। इति इमनिच्, णिलोपः। नादकर्ता (उत) अपिच (सर्वान्) सकलान् क्रिमीन् (मष्मषा) मष वधे−सम्पदादित्वात् क्विप्। आबाधे च। पा० ८।१।१०। इति द्वित्वम्। अत्यन्तहननेन (नि अकरम्) अहं निराकृतवान् नाशितवान् (दृषदा) अ० २।३१।१। शिलया (खल्वान्) अ० २।३१।१। चणकान् (इव) यथा ॥
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