अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 25/ मन्त्र 6
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - योनिः, गर्भः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - गर्भाधान सूक्त
30
यद्वेद॒ राजा॒ वरु॑णो॒ यद्वा॑ दे॒वी सर॑स्वती। यदिन्द्रो॑ वृत्र॒हा वेद॒ तद्ग॑र्भ॒कर॑णं पिब ॥
स्वर सहित पद पाठयत् । वेद॑। राजा॑ । वरु॑ण: । यत् । वा॒। दे॒वी । सर॑स्वती। यत् । इन्द्र॑: । वृ॒त्र॒ऽहा । वेद॑ । तत् । ग॒र्भ॒ऽकर॑णम् । पि॒ब॒ ॥२५.६॥
स्वर रहित मन्त्र
यद्वेद राजा वरुणो यद्वा देवी सरस्वती। यदिन्द्रो वृत्रहा वेद तद्गर्भकरणं पिब ॥
स्वर रहित पद पाठयत् । वेद। राजा । वरुण: । यत् । वा। देवी । सरस्वती। यत् । इन्द्र: । वृत्रऽहा । वेद । तत् । गर्भऽकरणम् । पिब ॥२५.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
गर्भाधान का उपदेश।
पदार्थ
(यत्) जो औषध (राजा) राजा (वरुणः) वरणयोग्य पति (वेद) जानता है, (वा) और (यत्) जो (देवी) दिव्य गुणवाली, (सरस्वती) विज्ञानवती पत्नी [जानती है] और (यत्) जो (वृत्रहा) शत्रु वा रोगनाशक (इन्द्रः) बड़े ऐश्वर्यवाला वैद्य (वेद) जानता है, (तत्) वह (गर्भकरणम्) गर्भजनक औषध (पिब) पान कर ॥६॥
भावार्थ
विद्वान् पति और विदुषी पत्नी चतुर वैद्य की सम्मति से उचित आहार-विहार करके गर्भरक्षा में तत्पर रहें ॥६॥
टिप्पणी
६−(यत्) औषधम् (वेद) जानाति (राजा) ऐश्वर्यवान् (वरुणः) वरणीयः पतिः (वा) समुच्चये (देवी) दिव्यगुणवती (सरस्वती) विज्ञानवती पत्नी (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् वैद्यः (वृत्रहा) शत्रो रोगस्य वा नाशकः (वेद) (तत्) (गर्भकरणम्) गर्भोत्पादकद्रव्यम् (पिब) पानेन सेवस्व ॥
विषय
वरणीय पति, दिव्य गुणोंवाली समझदार पत्नी, चतुर वैद्य
पदार्थ
१. (यत्) = जिसे (राजा) = नियमित [regulated] जीवनवाला (वरुणः) = वरणीय पति (वेद) = जानता है (वा) = और (यत्) = जिसे (देवी) = उत्तम व्यवहारोंवाली (सरस्वती) = समझदार पत्नी [वेद] जानती है। (यत) = जिसे (वत्रहा) = रोगकृमियों का नाशक (इन्द्रः) = रोगरूप शत्रुओं का विद्रावण करनेवाला वैद्य (वेद) = जानता है, (तत्) = उस (गर्भकरणम्) = गर्भ की स्थापक औषध को (पिब) = तू पी।
भावार्थ
पति का मुख्य गुण 'व्यवस्थित, पाप-निवृत्त [वरुण] जीवन' है। पत्नी को उत्तम व्यवहारोंवाली व समझदार बनना है। वैद्य औषधविज्ञान में चतुर होकर गर्भ के नाशक कृमियों
को विनष्ट करता हुआ 'गर्भकरण' औषध पिलाये।
भाषार्थ
(राजा) राजमान अर्थात् [ विवाहकाल में] शोभायमान, (वरुणः) वरण करनेवाला 'वर' ( यद) जिस औषध को (वेद) जानता है, (वा) अथवा (यद्) जिस औषध को (सरस्वती) विज्ञानवती विदुषी तु [ वेद] जानती है; (यद्) जिस औषध को (वृत्रहा) गर्भ के वृत्रों अर्थात् आवरण करनेवाले रोगों का हनन करनेवाला (इन्द्रः) ज्ञानेश्वैर्य-सम्पन्न वैद्य जानता है, (गर्भकरणम्) गर्भकारी ( तत् ) उस औषध को (पिव) तू पी, या पिया कर।
टिप्पणी
[सरस्वती= विज्ञानवती पत्नी (मन्त्र ३)। पति निज पत्नी के प्रति कहता है। गर्भकरण औषध="यानि भद्राणि बीजान्यृषभा जनयन्ति च। तैस्त्वं पुत्रं विन्दस्व सा प्रसुर्धेनुका भव (अथर्व० ३।२३।४-५)। ऋषभा:=ऋषभ ओषधियाँ। प्रसूः= पुत्र प्रसव करनेवाली। धेनुका=दुधार गौ की तरह दूध देनेवाली अल्प गोरूपा, हे पत्नी ! तु हो जा। सन्तानोत्पत्ति पर दूध देनेवालो हो जा।]
विषय
गर्भाशय में वीर्यस्थापन का उपदेश।
भावार्थ
गर्भपोषक, गर्भविधायक पान करने योग्य ओषधि का उपदेश करते हैं। हे स्त्री ! (यद्) जिसको (राजा वरुणः) राजा वरुण=अपान, व्यान, वायु और क्लोम भाग (वेद) जानता है। (यद् वा) और जिसको (देवी सरस्वती) देवी सरस्वती मानसशक्ति स्वतः स्त्री, (वेद) जानती है और (यत्) जिसको (वृत्रहा) विघ्नों का नाशक (इन्द्रः) वह ऐश्वर्यशील इन्द्र, वीर्यं प्राण (वेद) जानता है उस (गर्भकरणं) गर्भ के विधायक, गर्भ के पोषक औषध को (पिब) पान कर।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
ब्रह्मा ऋषिः। योनिगर्भो देवता। १-१२ अनुष्टुभः। १३ विराट् पुरस्ताद् बृहती। त्रयोदशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Garbhadhanam
Meaning
Whatever liquid energy and vitality, the ruling Varuna, sun and waters, hold, whatever energy and intelligence mother Sarasvati holds, whatever energy and power Indra, destroyer of darkness and evil, has, all that vitality, intelligence and energy which feeds and forms the foetus, O mother, receive and assimilate from nature.
Translation
Drink this embryo-stabilizing portion (beverage), which is the sovereign venerable Lord (Raja Varuna), which is known to the learning divine (Sarasvati) and which is known to the resplendent Lord (Indra), the destroyer of nescience (vrtrahà)
Translation
O pregnant lady! you drink the procreative draught which is known brilliant learned man, which is Known to lady expert in medicine and maternity, which is known to learned physician who destroys all the obstacles and diseases of ruinous nature.
Translation
Drink thou the procreative draught, well-known to thy venerable husband, to thee, the learned wife, and to the physician, the remover of diseases.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(यत्) औषधम् (वेद) जानाति (राजा) ऐश्वर्यवान् (वरुणः) वरणीयः पतिः (वा) समुच्चये (देवी) दिव्यगुणवती (सरस्वती) विज्ञानवती पत्नी (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् वैद्यः (वृत्रहा) शत्रो रोगस्य वा नाशकः (वेद) (तत्) (गर्भकरणम्) गर्भोत्पादकद्रव्यम् (पिब) पानेन सेवस्व ॥
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