Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 22/ मन्त्र 19
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - विकृतिः स्वरः - मध्यमः
    1

    वि॒भूर्मा॒त्रा प्र॒भूः पि॒त्राश्वो॑ऽसि॒ हयो॒ऽस्यत्यो॑ऽसि॒ मयो॒ऽस्यर्वा॑सि॒ सप्ति॑रसि वा॒ज्यसि॒ वृषा॑सि नृ॒मणा॑ऽअसि। ययु॒र्नामा॑ऽसि॒ शिशु॒र्नामा॑स्यादि॒त्यानां॒ पत्वान्वि॑हि॒ देवा॑ऽआशापालाऽए॒तं दे॒वेभ्योऽश्वं॒ मेधा॑य॒ प्रोक्षि॑तꣳ रक्षते॒ह रन्ति॑रि॒ह र॑मतामि॒ह धृति॑रि॒ह स्वधृ॑तिः॒ स्वाहा॑॥१९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि॒भूरिति॑ वि॒ऽभूः। मा॒त्रा। प्र॒भूरिति॑ प्र॒ऽभूः। पि॒त्रा। अश्वः॑। अ॒सि॒। हयः॑। अ॒सि॒। अत्यः॑। अ॒सि॒। मयः॑। अ॒सि॒। अर्वा॑। अ॒सि॒। सप्तिः॒। अ॒सि॒। वा॒जी। अ॒सि॒। वृषा॑। अ॒सि॒। नृ॒मणाः॑। नृ॒मना॒ इति॑ नृ॒ऽमनाः॑। अ॒सि॒। ययुः॑। नाम॑। अ॒सि॒। शिशुः॑। नाम॑। अ॒सि॒। आ॒दि॒त्याना॑म्। पत्वा॑। अनु॑। इ॒हि॒। देवाः॑। आ॒शा॒पा॒ला॒ इत्या॑शाऽपालाः। ए॒तम्। दे॒वेभ्यः॑। अश्व॑म्। मेधा॑य। प्रोक्षि॑त॒मिति॑ प्रऽउ॑क्षितम्। र॒क्ष॒त॒। इ॒ह। रन्तिः॑। इ॒ह। र॒म॒ता॒म्। इ॒ह। धृतिः॑। इ॒ह। स्वधृ॑ति॒रिति॒ स्वःऽधृ॑तिः। स्वाहा॑ ॥१९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विभूर्मात्रा प्रभूः पित्राश्वोसि हयोस्यत्यो सि मयोस्यर्वासि सप्तिरसि वाज्यसि वृषासि नृमणाऽअसि । ययुर्नामासि शिशुर्नामास्यादित्यानाम्पत्वान्विहि देवाऽआशापालाऽएतन्देवेभ्योश्वम्मेधाय प्रोक्षितँ रक्षतेह रन्तिरिह रमतामिहधृतिरिह स्वधृतिः स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    विभूरिति विऽभूः। मात्रा। प्रभूरिति प्रऽभूः। पित्रा। अश्वः। असि। हयः। असि। अत्यः। असि। मयः। असि। अर्वा। असि। सप्तिः। असि। वाजी। असि। वृषा। असि। नृमणाः। नृमना इति नृऽमनाः। असि। ययुः। नाम। असि। शिशुः। नाम। असि। आदित्यानाम्। पत्वा। अनु। इहि। देवाः। आशापाला इत्याशाऽपालाः। एतम्। देवेभ्यः। अश्वम्। मेधाय। प्रोक्षितमिति प्रऽउक्षितम्। रक्षत। इह। रन्तिः। इह। रमताम्। इह। धृतिः। इह। स्वधृतिरिति स्वःऽधृतिः। स्वाहा॥१९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 22; मन्त्र » 19
    Acknowledgment

    Translation -
    О horse, majestic through mother and mighty through father, you are a swift runner (asvah); You are a courser (hayah); you are ever-moving (atyah); you are а pleasure (mayah); you are a racer (аrva); you are a draft horse (saptih); you are a strong horse (vaji); you are a stallion (vrsa); you are kind to man (nrmanas); you are yayu (fond of running) by name; you are sisu (baby) by name. May you follow the path of the suns. (1) O bounties of Nature, warders of quarters, may you protect this horse, besprinkled for sacrifice. (2) Here is pleasure. (3) May you delight here. (4) May here be satisfaction for you. (5) May here be satisfaction for oneself. Svaha. (6)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top