अथर्ववेद - काण्ड 3/ सूक्त 27/ मन्त्र 4
सूक्त - अथर्वा
देवता - उदीची दिक्, सोमः, स्वजः, अशनिः
छन्दः - पञ्चपदा ककुम्मतीगर्भाष्टिः
सूक्तम् - शत्रुनिवारण सूक्त
उदी॑ची॒ दिक्सोमोऽधि॑पतिः स्व॒जो र॑क्षि॒ताशनि॒रिष॑वः। तेभ्यो॒ नमो॑ऽधिपतिभ्यो॒ नमो॑ रक्षि॒तृभ्यो॒ नम॒ इषु॑भ्यो॒ नम॑ एभ्यो अस्तु। यो॒स्मान्द्वेष्टि॒ यं व॒यं द्वि॒ष्मस्तं वो॒ जम्भे॑ दध्मः ॥
स्वर सहित पद पाठउदी॑ची । दिक् । सोम॑: । अधि॑ऽपति: । स्व॒ज: । र॒क्षि॒ता । अ॒शनि॑: । इष॑व: । तेभ्य॑: । नम॑: । अधि॑पतिऽभ्य: । नम॑: । र॒क्षि॒तृऽभ्य॑: । नम॑: । इषु॑ऽभ्य: । नम॑: । ए॒भ्य॒: । अ॒स्तु॒ । य: । अ॒स्मान् । द्वेष्टि॑ । यम् । व॒यम् । द्वि॒ष्म: । तम् । व॒: । जम्भे॑ । द॒ध्म: ॥२७.४॥
स्वर रहित मन्त्र
उदीची दिक्सोमोऽधिपतिः स्वजो रक्षिताशनिरिषवः। तेभ्यो नमोऽधिपतिभ्यो नमो रक्षितृभ्यो नम इषुभ्यो नम एभ्यो अस्तु। योस्मान्द्वेष्टि यं वयं द्विष्मस्तं वो जम्भे दध्मः ॥
स्वर रहित पद पाठउदीची । दिक् । सोम: । अधिऽपति: । स्वज: । रक्षिता । अशनि: । इषव: । तेभ्य: । नम: । अधिपतिऽभ्य: । नम: । रक्षितृऽभ्य: । नम: । इषुऽभ्य: । नम: । एभ्य: । अस्तु । य: । अस्मान् । द्वेष्टि । यम् । वयम् । द्विष्म: । तम् । व: । जम्भे । दध्म: ॥२७.४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 27; मन्त्र » 4
भाषार्थ -
(उदीची दिक्) उत्तर की दिशा है, (सोमः अधिपति) सौम्य स्वभाव वाला अधिपति है, (स्वजः) स्वयम् अर्थात् स्वभावत: उत्पन्न हुआ है, (रक्षिता) रक्षा करता है, (अशनिः इषवः) व्याप्त प्रकाश इषुरूप हैं। (तेभ्यः) उन के प्रति (नमः) हमारा प्रह्णीभाव हो, (अधिपतिभ्यः नमः) उन अधिपतियों के प्रति प्रह्णीभाव हो, (रक्षितृभ्यः नमः ) उन रक्षकों के प्रति प्रह्णीभाव हो, (इषुभ्यः नमः) इषुरुप उनके प्रति प्रह्णीभाव हो, (एभ्यः) इन सबके प्रति (नमः) प्रह्णीभाव (अस्तु) हो। (यः) जो (अस्मान् द्वेष्टि) हमारे साथ द्वेष करता है, (यम् वयम् द्विष्मः) और जिसके साथ प्रतिक्रियारूप हम द्वेष करते हैं (तम्) उसे (व: जम्भे) तुम्हारी दाढ़ में (दध्मः) हम स्थापित करते हैं। अशनि=आशूङ व्याप्तौ (भ्वादिः)। अशनि उत्तरध्रुव में व्याप्त होकर वहाँ के अन्धकार के विनाश के लिए इषुरूप है।
टिप्पणी -
[सोमः=सौम्यस्वभाववाला है उत्तरदिशास्थ Aurora (औरोरा) यथा "A luminous meteoric Phenomenon of electrical charactor seen in and towards the Polar regions with a tremulous motion and giving forth streams of light. Aurora Borealis, north lights." (चेम्बरज, २०वीं शतक, कोश)।"औरोरा" यह प्रकाशमान घटना है, जोकि वैद्युत है, और उत्तरदिशा सम्बन्धी है, जोकि उत्तर व में दृष्टिगोचर होती है, चन्चलगतिवाली है, और प्रकाशमयी धाराओंरूपी है, इसे उत्तरीय प्रकाश कहते हैं। ये धाराएँ प्रकाशमयी है, और शीतल हैं। अतः सौम्यस्वभाव वाली हैं।।]