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यजुर्वेद अध्याय - 21

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  • यजुर्वेद - अध्याय 21/ मन्त्र 1
    ऋषिः - शुनःशेप ऋषिः देवता - वरुणो देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
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    इ॒मं मे॑ वरुण श्रु॒धी हव॑म॒द्या च॑ मृडय। त्वाम॑व॒स्युरा च॑के॥१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इम॒म्। मे॒। व॒रु॒ण॒। श्रु॒धि। हव॑म्। अ॒द्य। च॒। मृ॒ड॒य॒। त्वाम्। अ॒व॒स्युः। आ। च॒के॒ ॥१ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इमम्मे वरुण श्रुधी हवमद्या च मृडय । त्वामस्वस्युरा चके ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    इमम्। मे। वरुण। श्रुधि। हवम्। अद्य। च। मृडय। त्वाम्। अवस्युः। आ। चके॥१॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 21; मन्त्र » 1
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    Bhajan -

    आज का वैदिक भजन 🙏 1132
    ओ३म् इ॒मं मे॑ वरुण श्रु॒धी हव॑म॒द्या च॑ मृडय ।
    त्वाम॑स्व॒स्युरा च॑के ।। १ ।।
    यजुर्वेद 21/1 

    ध्यान देना प्यारे वरुण !!
    मेरी पुकार पे
    आश्रय तेरा माँगूँ  
    मुझको आधार दे
    व्याकुलता मेरी
    क्यों ना निवारे 
    पाप-निवारक देव
    जीवन सँवार दे

    नैनों में आस लिए बैठा उदास
    तेरे सानिध्य की मन में है आस
    मार-मार ठट्ठा 
    सारे हंस रहे लोग 
    कहते हैं पागलों की 
    मन में है सोच 
    हाँ मैं तो मानूँ बाँवरा हूँ व्याकुल 
    व्याकुलता मेरी तू उतार दे 
    ध्यान देना प्यारे वरुण !!
    मेरी पुकार पे
    आश्रय तेरा माँगूँ  
    मुझको आधार दे
    व्याकुलता मेरी
    क्यों ना निवारे 
    पाप-निवारक देव
    जीवन सँवार दे

    बैठा हूँ कामना लेकर अपनी 
    वरुण प्रभु तुम्हें होगी सुननी 
    प्रार्थना करना  ना अनसुनी 
    चाहे तुम पाओ मुझमें कमी 
    पाप निवारक वरुण तू श्रेष्ठ है 
    नैनों का नीर-निराशा निवार दे 
    ध्यान देना प्यारे वरुण !!
    मेरी पुकार पे
    आश्रय तेरा माँगूँ  
    मुझको आधार दे
    व्याकुलता मेरी
    क्यों ना निवारे 
    पाप-निवारक देव
    जीवन सँवार दे

    हृदय में पूर्ण श्रद्धा  विश्वास 
    कभी ना उतरे ऐसी आतुर प्यास 
    दुर्दिनों का मेरे कर दो विनाश 
    याज्ञिक कर्मों का दे दो प्रकाश 
    चरणों में गिर के शरण तेरी माँगूँ 
    शरणागत को, हटा दे पापाचार से 
    ध्यान देना प्यारे वरुण 
    मेरी पुकार पे
    आश्रय तेरा माँगूँ  
    मुझको आधार दे
    व्याकुलता मेरी
    क्यों ना निवारे 
    पाप-निवारक देव
    जीवन सँवार दे

    रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन साहनी जी – मुम्बई
    रचना दिनाँक :-  १६.९ २०२१  २१.४० pm
    राग :- बिलावल
    गायन समय मध्य रात्रि, ताल कहरवा 8 मात्रा
                          
    शीर्षक :- हे वरुण! 🎧 711 वां भजन
    *तर्ज :- *
    00128-6728
                     
    निवारना = हटाना
    व्याकुलता = बेचैनी
    दुर्दिन = बुरे दिन, पापमय दिन
    पापाचार = पापों का आचरण
     

    Vyakhya -

    प्रस्तुत भजन से सम्बन्धित पूज्य श्री ललित साहनी जी का सन्देश :-- 👇👇

    हे वरुण! 

    हे वरुण देव! मैं कितने दिनों से तुम्हें पुकार रहा हूं। पुकारते- पुकारते अब तो बहुत काल बीत गया है। मेरी पुकार की सुनवाई कब होगी? लोग मुझ पर हंसते हैं। तुम्हारे प्रति मेरी व्याकुलता को देखकर मेरा ठट्ठा करते हैं और मुझे पागल समझते हैं, परन्तु मैं तो तुम्हारी शरण में आ चुका हूं। एकमात्र तुमसे ही रक्षा पाने की आशा रखता हुआ निरन्तर प्रार्थना कर रहा हूं और करता चला जाऊंगा। तुम ही को मेरी लाज बचानी  होगी। क्या मैं ऐसे ही पुकार मचाता रहूंगा और तुम अनसुनी करते जाओगे? नहीं, तुम्हें मेरी पुकार सुनी होगी। हे सर्वश्रेष्ठ !हे पाप निवारक! हे मेरै परम आत्मन्! तुम्हें मेरी यह पुकार ज़रूर सुनी होगी। तो, अब तो बहुत काल बीत चुका है। मेरा मन अपनी इस कामना को तुम्हारे आगे कब से धरे बैठा है। क्या इसकी स्वीकृति का समय अब तक नहीं आया है? अब तो हे नाथ! इसे पूरा कर दो! आज का दिन खाली ना जाए। बहुत बार आशा बंधते-बंधते टूट चुकी है, पर आज तो निराश न होना पड़े, आज तो इस चिन्तन रक्षित अभिलाषा को पूरा कर दो, चिरकाल के व्यक्तित्व व्याकुल हृदय को सुखी कर दो। यह हृदय तो अति अटल श्रद्धा रखें, तुम से कामना के अवश्यम्भावी, पूरा होने का विश्वास रखे। यह बड़े दिनों से तपस्या कर रहा है, बहुत असीम आशाओं के घाव से घायल हो चुका है, पर श्रद्धा नहीं छोड़ सकता। तो आज तो इसके दुर्दिनों का अन्त कर दो, इसके शुभांग के क्षण को मूर्तिमंत कर दो जिससे इस के घावों की सब व्यथा अब एक क्षण में मिट जाए। बस, आज ज़रूर, आज ज़रूर! पुकार मचाते-मचाते अब पर्याप्त दिन हो चुके। तुम्हारी शरण में पड़ा मैं बहुत चिल्ला चुका। अपने इस पागल का आज तो  सुदिन कर  ही दो और इसे अपनी गोद में बिठा लो।

    🕉🧘‍♂️ईश भक्ति भजन
    भगवान् ग्रुप द्वारा 🎧🙏
    वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं❗🙏

     

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