ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 42/ मन्त्र 17
उ॒रौ दे॑वा अनिबा॒धे स्या॑म ॥१७॥
स्वर सहित पद पाठउ॒रौ । दे॒वाः॒ । अ॒नि॒ऽबा॒धे । स्या॒म॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
उरौ देवा अनिबाधे स्याम ॥१७॥
स्वर रहित पद पाठउरौ। देवाः। अनिऽबाधे। स्याम ॥१७॥
ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 42; मन्त्र » 17
अष्टक » 4; अध्याय » 2; वर्ग » 19; मन्त्र » 7
अष्टक » 4; अध्याय » 2; वर्ग » 19; मन्त्र » 7
Meaning -
O divinities, saints and sages, may we ever prosper in the unbounded generosity of nature and of mother earth.