Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 20/ मन्त्र 10
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - सभोशो देवता छन्दः - स्वराट् शक्वरी स्वरः - धैवतः
    1

    प्रति॑ क्ष॒त्रे प्रति॑ तिष्ठामि रा॒ष्ट्रे प्रत्यश्वे॑षु॒ प्रति॑ तिष्ठामि॒ गोषु॑। प्रत्यङ्गे॑षु॒ प्रति॑ तिष्ठाम्या॒त्मन् प्रति॑ प्रा॒णेषु॒ प्रति॑ तिष्ठामि पु॒ष्टे प्रति॒ द्यावा॑पृथि॒व्योः प्रति॑ तिष्ठामि य॒ज्ञे॥१०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रति॑। क्ष॒त्रे। प्रति॑। ति॒ष्ठा॒मि॒। रा॒ष्ट्रे। प्रति॑। अश्वे॑षु। प्रति॑। ति॒ष्ठा॒मि॒। गोषु॑। प्रति॑। अङ्गे॑षु। प्रति॑। ति॒ष्ठा॒मि॒। आत्मन्। प्रति॑। प्रा॒णेषु॑। प्रति॑। ति॒ष्ठा॒मि॒। पु॒ष्टे। प्रति॑। द्यावा॑पृथि॒व्योः। प्रति॑। ति॒ष्ठा॒मि॒। य॒ज्ञे ॥१० ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रति क्षत्रे प्रति तिष्ठामि राष्ट्रे प्रत्यश्वेषु प्रति तिष्ठामि गोषु । प्रत्यङ्गेषु प्रतितिष्ठाम्यात्मन्प्रति प्राणेषु क्षत्रे प्रतितिष्ठामि पुष्टे प्रति द्यावापृथिव्योः प्रति तिष्ठामि यज्ञे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    प्रति। क्षत्रे। प्रति। तिष्ठामि। राष्ट्रे। प्रति। अश्वेषु। प्रति। तिष्ठामि। गोषु। प्रति। अङ्गेषु। प्रति। तिष्ठामि। आत्मन्। प्रति। प्राणेषु। प्रति। तिष्ठामि। पुष्टे। प्रति। द्यावापृथिव्योः। प्रति। तिष्ठामि। यज्ञे॥१०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 20; मन्त्र » 10
    Acknowledgment

    Meaning -
    I take my stand on princely power and kingship, on horses am I dependent, and on cows, on agencies of administration I depend, on my soul do I depend. On vital breaths am I dependent, and on invigorating cereals do I depend. I depend on justice like the sun and moon. I depend on the company of the learned, and on the spread of knowledge.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top