Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 6/ मन्त्र 26
    ऋषिः - मेधातिथिर्ऋषिः देवता - सोमो देवता छन्दः - भूरिक् गायत्री,आर्षी गायत्री, स्वरः - धैवतः
    0

    सोम॑ राज॒न् विश्वा॒स्त्वं प्र॒जाऽउ॒पाव॑रोह॒ विश्वा॒स्त्वां प्र॒जाऽउ॒पाव॑रोहन्तु। शृ॒णोत्व॒ग्निः स॒मिधा॒ हवं॑ मे शृ॒ण्वन्त्वापो॑ धि॒षणा॑श्च दे॒वीः। श्रोता॑ ग्रावाणो वि॒दुषो॒ न य॒ज्ञꣳ शृ॒णोतु॑ दे॒वः स॑वि॒ता हवं॑ मे॒ स्वाहा॑॥२६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सोम॑। रा॒ज॒न्। विश्वाः॑। त्वम्। प्रजा॒ इति॑ प्र॒ऽजाः। उ॒पाव॑रो॒हेत्यु॑प॒ऽअव॑रोह। विश्वाः॑। त्वाम्। प्र॒जा इति॑ प्र॒ऽजाः। उपाव॑रोह॒न्त्वित्यु॑प॒ऽअव॑रोहन्तु। शृ॒णोतु॑। अ॒ग्निः। स॒मिधेति॑ स॒म्ऽइधा॑। हव॑म्। मे॒। शृ॒ण्वन्तु॑। आपः॑। धि॒षणाः॑। च॒। दे॒वीः। श्रोत॑। ग्रा॒वा॒णः॒। वि॒दुषः॑। न। य॒ज्ञम्। शृ॒णोतु॑। दे॒वः। स॒वि॒ता। हव॑म्। मे॒। स्वाहा॑ ॥२६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सोम राजन्विश्वास्त्वम्प्रजा उपाव रोह विश्वास्त्वाम्प्रजाऽउपाव रोहन्तु । शृणोत्वग्निः समिधा हवम्मे शृण्वन्त्वापो धिषणाश्च देवीः श्रोता ग्रावाणो विदुषो न यज्ञँ शृणोतु देवः सविता हवम्मे स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सोम। राजन्। विश्वाः। त्वम्। प्रजा इति प्रऽजाः। उपावरोहेत्युपऽअवरोह। विश्वाः। त्वाम्। प्रजा इति प्रऽजाः। उपावरोहन्त्वित्युपऽअवरोहन्तु। शृणोतु। अग्निः। समिधेति सम्ऽइधा। हवम्। मे। शृण्वन्तु। आपः। धिषणाः। च। देवीः। श्रोत। ग्रावाणः। विदुषः। न। यज्ञम्। शृणोतु। देवः। सविता। हवम्। मे। स्वाहा॥२६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 6; मन्त्र » 26
    Acknowledgment

    Meaning -
    O noble king, like a father go near thy subjects, and let the subjects like sons come near thee to seek protection. Just as fire is kindled with wood-sticks, so hear my complaint and kindle justice. Let versatile, learned and noble-minded queens, like mothers, hear the complaints of women, and do justice unto them. You magistrates who distinguish justice from injustice, listen to our grievances. O supreme king, endowed with knowledge, hear like sacrificing learned persons, our requests made in an humble, laudatory tone.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top