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  • यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 112
    ऋषिः - गोतम ऋषिः देवता - सोमो देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
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    आप्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वतः॑ सोम॒ वृष्ण्य॑म्। भवा॒ वाज॑स्य सङ्ग॒थे॥११२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ। प्या॒य॒स्व॒। सम्। ए॒तु॒। ते॒। वि॒श्वतः॑। सो॒म॒। वृष्ण्य॑म्। भव॑। वाज॑स्य। स॒ङ्ग॒थ इति॑ सम्ऽग॒थे ॥११२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ प्यायस्व समेतु ते विश्वतः सोम वृष्ण्यम् । भवा वाजस्य सङ्थे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आ। प्यायस्व। सम्। एतु। ते। विश्वतः। सोम। वृष्ण्यम्। भव। वाजस्य। सङ्गथ इति सम्ऽगथे॥११२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 12; मन्त्र » 112
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    Meaning -
    Soma, ruler, man of grace and blessedness, rise and grow to excellence to win the glory of life. May the vitality, virility and grandeur of life come to you from all sides, and, in the battles of life and the nation, be great.

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