Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 12
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - अग्न्यादयो देवताः छन्दः - स्वराडनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    1

    त्र्यव॑यो गाय॒त्र्यै पञ्चा॑वयस्त्रि॒ष्टुभे॑ दित्य॒वाहो॒ जग॑त्यै त्रिव॒त्साऽअ॑नु॒ष्टुभे॑ तुर्य॒वाह॑ऽउ॒ष्णिहे॑॥१२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्र्यव॑य॒ इति॑ त्रि॒ऽअव॑यः। गा॒य॒त्र्यै। पञ्चा॑वय इति॒ पञ्च॑ऽअवयः। त्रि॒ष्टुभे॑। त्रि॒स्तुभ॒ इति॑ त्रि॒स्तुभे॑। दि॒त्य॒वाह॒ऽइति॑ दित्य॒ऽवाहः॑। जग॑त्यै। त्रि॒ऽव॒त्साऽइति॑ त्रिऽव॒त्साः। अ॒नु॒ष्टुभे॑। अ॒नु॒स्तुभ॒ इत्य॑नु॒ऽस्तुभे॑। तु॒र्य॒वाह॒ इति॑ तुर्य॒ऽवाहः॑। उ॒ष्णिहे॑ ॥१२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्र्यवयो गायत्र्यै पञ्चावयस्त्रिष्टुभे दित्यवाहो जगत्यै त्रिवत्सा अनुष्टुभे तुर्यवाह उष्णिहे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    त्र्यवय इति त्रिऽअवयः। गायत्र्यै। पञ्चावय इति पञ्चऽअवयः। त्रिष्टुभे। त्रिस्तुभ इति त्रिस्तुभे। दित्यवाहऽइति दित्यऽवाहः। जगत्यै। त्रिऽवत्साऽइति त्रिऽवत्साः। अनुष्टुभे। अनुस्तुभ इत्यनुऽस्तुभे। तुर्यवाह इति तुर्यऽवाहः। उष्ण्हिे॥१२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 12
    Acknowledgment

    Meaning -
    Animals of three six month periods of life are for the gayatri metre to sing; those of five periods are for trishtup; the burden bearing ones are for jagati; those with three calves are for anushtup; and those of the fourth stage of life are for the ushnih metre to sing.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top