Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 4/ मन्त्र 37
    ऋषिः - गोतम ऋषिः देवता - यज्ञो देवता छन्दः - निचृत् आर्षी त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    1

    या ते॒ धामा॑नि ह॒विषा॒ यज॑न्ति॒ ता ते॒ विश्वा॑ परि॒भूर॑स्तु य॒ज्ञम्। ग॒य॒स्फानः॑ प्र॒तर॑णः सु॒वीरोऽवी॑रहा॒ प्रच॑रा सोम॒ दुर्या॑न्॥३७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    या। ते॒। धामा॑नि। ह॒विषा॑। यज॑न्ति। ता। ते॒। विश्वा॑। प॒रि॒भूरिति॑ परि॒ऽभूः। अ॒स्तु॒। य॒ज्ञम्। ग॒य॒स्फान॒ इति॑ गय॒ऽस्फानः॑। प्र॒तर॑ण॒ इति॑ प्र॒ऽतर॑णः। सु॒वीर॒ इति॑ सु॒ऽवीरः॑। अवी॑र॒हेत्यवी॑रऽहा। प्र। च॒र॒। सो॒म॒। दुर्य्या॑न् ॥३७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    या ते धामानि हविषा यजन्ति ता ते विश्वा परिभूरस्तु यज्ञम् । गयस्पानः प्रतरणः सुवीरो वीरहा प्रचरा सोम दुर्यान् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    या। ते। धामानि। हविषा। यजन्ति। ता। ते। विश्वा। परिभूरिति परिऽभूः। अस्तु। यज्ञम्। गयस्फान इति गयऽस्फानः। प्रतरण इति प्रऽतरणः। सुवीर इति सुऽवीरः। अवीरहेत्यवीरऽहा। प्र। चर। सोम। दुर्य्यान्॥३७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 4; मन्त्र » 37
    Acknowledgment

    Meaning -
    Lord of the universe, whatever places are sanctified by the performance of yajna with oblations in your honour, all such places, O Soma, yajna may grace and sanctify for us too — yajna, promoter of the home, family and wealth, saviour from suffering, maker of the brave, redeemer of the weak, all-round generous and universal, may sanctify us too. Soma, scholar wise and dedicated, go round, speak for, propagate and perform yajna in every home.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top