Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1397
ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः
देवता - अग्निः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
4
ग꣡र्भे꣢ मा꣣तुः꣢ पि꣣तु꣢ष्पि꣣ता꣡ वि꣢दिद्युता꣣नो꣢ अ꣣क्ष꣡रे꣢ । सी꣡द꣢न्नृ꣣त꣢स्य꣣ यो꣢नि꣣मा꣢ ॥१३९७॥
स्वर सहित पद पाठग꣡र्भे꣢꣯ । मा꣣तुः꣢ । पि꣣तुः꣢ । पि꣣ता꣢ । वि꣣दिद्युतानः꣢ । वि꣣ । दिद्युतानः꣢ । अ꣣क्ष꣡रे꣢ । सी꣡द꣢꣯न् । ऋ꣣त꣡स्य꣢ । यो꣡नि꣢꣯म् । आ ॥१३९७॥
स्वर रहित मन्त्र
गर्भे मातुः पितुष्पिता विदिद्युतानो अक्षरे । सीदन्नृतस्य योनिमा ॥१३९७॥
स्वर रहित पद पाठ
गर्भे । मातुः । पितुः । पिता । विदिद्युतानः । वि । दिद्युतानः । अक्षरे । सीदन् । ऋतस्य । योनिम् । आ ॥१३९७॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1397
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 7; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 3; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 7; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 3; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
पदार्थ -
(मातुः-पितुः-अक्षरे गर्भे) पृथिवी के द्युलोक के२ अविनाशी गर्भ—गर्भरूप प्रकृतिनामक अव्यक्त उपादान कारण में व्यापक (पिता विदिद्युतानः) पालक—उपादान कारण का पालक एवं सब का पालक परमात्मा विशेष प्रकाशमान है (ऋतस्य योनिम्-आसीदन्) सत्यज्ञान के आधार वेद को आस्थापित—प्रकाशित करता हुआ ‘वृत्राणि जङ्घनत्’ अज्ञानान्धकार पाप को नष्ट करता है॥२॥
विशेष - <br>
इस भाष्य को एडिट करें