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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 273
ऋषिः - पुरुहन्मा आङ्गिरसः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - बृहती
स्वरः - मध्यमः
काण्ड नाम - ऐन्द्रं काण्डम्
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यो꣡ राजा꣢꣯ चर्षणी꣣नां꣢꣫ याता꣣ र꣡थे꣢भि꣣र꣡ध्रि꣢गुः । वि꣡श्वा꣢सां तरु꣣ता꣡ पृत꣢꣯नानां꣣ ज्ये꣢ष्ठं꣣ यो꣡ वृ꣢त्र꣣हा꣢ गृ꣣णे꣢ ॥२७३॥
स्वर सहित पद पाठयः꣢ । रा꣡जा꣢꣯ । च꣣र्षणीना꣢म् । या꣡ता꣢꣯ । र꣡थे꣢꣯भिः । अ꣡ध्रि꣢꣯गुः । अ꣡ध्रि꣢꣯ । गुः꣣ । वि꣡श्वा꣢꣯साम् । त꣣रुता꣢ । पृ꣡त꣢꣯नानाम् । ज्ये꣡ष्ठ꣢꣯म् । यः । वृ꣣त्रहा꣢ । वृ꣣त्र । हा꣢ । गृ꣣णे꣢ ॥२७३॥
स्वर रहित मन्त्र
यो राजा चर्षणीनां याता रथेभिरध्रिगुः । विश्वासां तरुता पृतनानां ज्येष्ठं यो वृत्रहा गृणे ॥२७३॥
स्वर रहित पद पाठ
यः । राजा । चर्षणीनाम् । याता । रथेभिः । अध्रिगुः । अध्रि । गुः । विश्वासाम् । तरुता । पृतनानाम् । ज्येष्ठम् । यः । वृत्रहा । वृत्र । हा । गृणे ॥२७३॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 273
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 3; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 4; मन्त्र » 1
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 3; खण्ड » 5;
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(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 3; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » 4; मन्त्र » 1
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 3; खण्ड » 5;
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पदार्थ -
(यः-चर्षणीनां राजा) जो आदित्य के समान ज्ञान से प्रकाशमान जनों का राजा—दीपयिता—ज्ञानदाता “चर्षणयः-मनुष्याः” [निघं॰ २.३] “चर्षणिः- चायितादित्यः” [निरु॰ ५.२४] (रथेभिः-अध्रिगुः-याता) रथों—वेग वाले यानों के द्वारा जाने वालों का उनमें भी अधृतगमन—अप्राप्त गति वाला जाने वाला “अध्रिगुरधृतगमनः” [निरु॰ ५.१०] (विश्वासां पृतनानां तरुता) समस्त युद्ध करने वाली शक्तियों का “युधौ वै पृतनाः” [श॰ ५.२.४.१६] तारक—तारयिता प्रेरक “तरुतारं तारयितारम्” [निरु॰ १०.२९] (यः-वृत्रहा ज्येष्ठः) जो पापाज्ञाननाशक महान् है (गृणे) मैं उसे स्तुति में लाऊँ—उसकी स्तुति करूँ।
भावार्थ - जो सूर्यसमान ज्ञानप्रकाश से प्रकाशमान ज्ञानियों का—आदि ऋषियों का प्रकाशक ज्ञानदाता है, जो तीव्र गतिवाले यानों से जाने वालों का भी—उनमें—उनसे भी अप्राप्त गति वाला विभु—गतिवाला जाने वाला है और समस्त युद्ध करने वाली शक्तियों—विद्युत् आदियों का प्रेरक है जो पाप अज्ञानों का नाशक अति महान् है उसकी मैं स्तुति करता हूँ अर्थात् ज्ञान, गति, शक्ति, पापाज्ञाननिवृत्ति का अधिष्ठाता परमात्मा है उसकी स्तुति करनी चाहिए॥१॥
विशेष - ऋषिः—पुरुहन्मा (बहुतों को अध्यात्म में प्रेरित कर्त्ता)॥<br>
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