Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 710
ऋषिः - नृमेध आङ्गिरसः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - ककुबुष्णिक्
स्वरः - ऋषभः
काण्ड नाम -
8
अ꣢धा꣣꣬ ही꣢꣯न्द्र गिर्वण꣣ उ꣡प꣢ त्वा꣣ का꣡म꣢ ई꣣म꣡हे꣢ ससृ꣣ग्म꣡हे꣢ । उ꣣दे꣢व꣣ ग्म꣡न्त꣢ उ꣣द꣡भिः꣢ ॥७१०॥
स्वर सहित पद पाठअ꣡ध꣢꣯ । हि । इ꣣न्द्र । गिर्वणः । गिः । वनः । उ꣡प꣢꣯ । त्वा꣣ । का꣡मे꣢꣯ । ई꣣म꣡हे꣢ । स꣣सृग्म꣡हे꣢ । उ꣣दा꣢ । इ꣣व । ग्म꣡न्तः꣢꣯ । उ꣣द꣡भिः꣢ ॥७१०॥
स्वर रहित मन्त्र
अधा हीन्द्र गिर्वण उप त्वा काम ईमहे ससृग्महे । उदेव ग्मन्त उदभिः ॥७१०॥
स्वर रहित पद पाठ
अध । हि । इन्द्र । गिर्वणः । गिः । वनः । उप । त्वा । कामे । ईमहे । ससृग्महे । उदा । इव । ग्मन्तः । उदभिः ॥७१०॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 710
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 23; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 6; सूक्त » 4; मन्त्र » 1
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 23; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 6; सूक्त » 4; मन्त्र » 1
Acknowledgment
टिप्पणी -
(देखो अर्थव्याख्या मन्त्र संख्या ४०६)
विशेष - ऋषिः—नृमेधः (मुमुक्षु मेधा वाला)॥ देवता—इन्द्रः (ऐश्वर्यवान् परमात्मा)॥ छन्दः—ककुप्॥<br>
इस भाष्य को एडिट करें