अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 29/ मन्त्र 5
मन्थ॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ मन्थ॑ मे पृतनाय॒तः। मन्थ॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ मन्थ॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥
स्वर सहित पद पाठमन्थ॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। मन्थ॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। मन्थ॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। मन्थ॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः॒। म॒णे॒ ॥२९.५॥
स्वर रहित मन्त्र
मन्थ दर्भ सपत्नान्मे मन्थ मे पृतनायतः। मन्थ मे सर्वान्दुर्हार्दो मन्थ मे द्विषतो मणे ॥
स्वर रहित पद पाठमन्थ। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। मन्थ। मे। पृतनाऽयतः। मन्थ। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। मन्थ। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.५॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 29; मन्त्र » 5
Subject - Darbha Mani
Meaning -
O Darbha, destroyer of negativities, shake up and churn my rivals, shake up and churn my adversaries, shake up and churn all the evil hearted opponents, shake up and churn all the jealous forces, O Mani.