Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 22/ मन्त्र 24
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - दिशो देवताः छन्दः - निचृदतिधृतिः स्वरः - षड्जः
    2

    प्राच्यै॑ दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहा॒ दक्षि॑णायै दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहा॑ प्र॒तीच्यै॑ दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहोदी॑च्यै दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहो॒र्ध्वायै॑ दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहाऽवा॑च्यै दि॒शे स्वाहा॒ऽर्वाच्यै॑ दि॒शे स्वाहा॑॥२४॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्राच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। दक्षि॑णायै। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। प्र॒तीच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। उदी॑च्यै। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। ऊ॒र्ध्वायै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑। अवा॑च्यै। दि॒शे। स्वाहा॑। अ॒र्वाच्यै॑। दि॒शे। स्वाहा॑ ॥२४ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्राच्यै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहा दक्षिणायै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहा प्रतीच्यै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहोदीच्यै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहोर्ध्वायै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहावाच्यै दिशे स्वाहार्वाच्यै दिशे स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    प्राच्यै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा। दक्षिणायै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा। प्रतीच्यै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा। उदीच्यै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा। ऊर्ध्वायै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा। अवाच्यै। दिशे। स्वाहा। अर्वाच्यै। दिशे। स्वाहा॥२४॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 22; मन्त्र » 24
    Acknowledgment

    भावार्थ - हे माणसांनो ! चार मुख्य दिशा, चार उपदिशा उर्ध्व (वर) अधर (खाली) अशा सर्व मिळून दहा दिशा आहेत, हे जाणले पाहिजे. त्या एकाच क्रमाने निश्चित करता येत नाहीत. त्यांना आपल्याला कल्पनेने जाणावे. त्यांना समजण्याची हीच पद्धत आहे. जेथे मनुष्य स्थित असेल त्या स्थानापासूनचा सर्व दिशांची कल्पना करता येते.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top