अथर्ववेद - काण्ड 5/ सूक्त 9/ मन्त्र 1
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - वास्तोष्पतिः
छन्दः - दैवी बृहती
सूक्तम् - आत्मा सूक्त
दिवे॒ स्वाहा॑ ॥१॥
स्वर सहित पद पाठदि॒वे । स्वाहा॑ ॥९.१॥
स्वर रहित मन्त्र
दिवे स्वाहा ॥१॥
स्वर रहित पद पाठदिवे । स्वाहा ॥९.१॥
अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 9; मन्त्र » 1
सूचना -
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः - १−(दिवे) प्रकाशमानाय परमात्मने (स्वाहा) अ० २।१६।१। सुवाणी प्रार्थना ॥
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