ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 93/ मन्त्र 1
ऋषिः - तान्वः पार्थ्यः
देवता - विश्वेदेवा:
छन्दः - विराड्पङ्क्ति
स्वरः - पञ्चमः
महि॑ द्यावापृथिवी भूतमु॒र्वी नारी॑ य॒ह्वी न रोद॑सी॒ सदं॑ नः । तेभि॑र्नः पातं॒ सह्य॑स ए॒भिर्न॑: पातं शू॒षणि॑ ॥
स्वर सहित पद पाठमहि॑ । द्या॒वा॒पृ॒थि॒वी॒ इति॑ । भू॒त॒म् । उ॒र्वी इति॑ । नारी॒ इति॑ । य॒ह्वी इति॑ । न । रोद॑सी॒ इति॑ । सद॑म् । नः॒ । तेभिः॑ । नः॒ । पा॒त॒म् । सह्य॑सः । ए॒भिः । नः॒ । पा॒त॒म् । शू॒षणि॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
महि द्यावापृथिवी भूतमुर्वी नारी यह्वी न रोदसी सदं नः । तेभिर्नः पातं सह्यस एभिर्न: पातं शूषणि ॥
स्वर रहित पद पाठमहि । द्यावापृथिवी इति । भूतम् । उर्वी इति । नारी इति । यह्वी इति । न । रोदसी इति । सदम् । नः । तेभिः । नः । पातम् । सह्यसः । एभिः । नः । पातम् । शूषणि ॥ १०.९३.१
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 93; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 4; वर्ग » 26; मन्त्र » 1
अष्टक » 8; अध्याय » 4; वर्ग » 26; मन्त्र » 1
विषय - तेभिः- एभिः
पदार्थ -
[१] हे (द्यावापृथिवी) = द्युलोक व पृथिवीलोक ! तुम हमारे लिये (महि उर्वी) = खूब विस्तीर्ण होवो । द्युलोक 'मस्तिष्क' है, पृथिवीलोक 'शरीर'। हमारा मस्तिष्क विस्तृत ज्ञान से उज्ज्वल हो, और हमारा शरीर प्रचण्ड तेजस्विता से देदीप्यमान हो । हे (रोदसी) = द्यावापृथिवी ! आन (नः) = हमारे लिये (सदम्) = सदा (यह्वी नारी न) = अपने गुणों के कारण महत्त्वपूर्ण स्त्री के समान होवो। जैसे पत्नी पति का पूरण करनेवाली बनती है, उसी प्रकार ये द्यावापृथिवी हमारा पूरण करनेवाले हों । द्युलोक ज्ञान की कमी को न रहने दे तथा पृथिवीलोक शक्ति व दृढ़ता का पूरण करनेवाला हो। [२] हे द्यावापृथिवी! आप (तेभिः) = उन मस्तिष्क की ज्ञानदीप्तियों से (नः) = हमें (सह्यसः) = कुचल डालनेवाले काम-क्रोधादि शत्रुओं से (पातम्) = सुरक्षित करो। ज्ञानाग्नि में काम भस्म हो जाए तथा (एभिः) = इन शरीर की शक्तियों से (नः) = हमें शूषणि बाह्य शत्रुओं के शोषण में (पातम्) = सुरक्षित करिये । हम इन पार्थिव शक्तियों से शत्रुओं का शोषण कर सकें। अध्यात्म शत्रुओं का नाश मस्तिष्क के ज्ञान द्वारा तथा बाह्य शत्रुओं का नाश शारीरिक शक्तियों के द्वारा हम करनेवाले बनें । अध्यात्म शत्रुओं के नाश से परलोक उत्तम होता है । बाह्य शत्रुओं के नाश से इहलोक अच्छा बनता है ।
भावार्थ - भावार्थ - ज्ञान से कामादि का तथा तेज से बाह्य शत्रुओं का हम विनाश करनेवाले हों ।
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