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ऋग्वेद मण्डल - 6 के सूक्त 49 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 49/ मन्त्र 15
    ऋषिः - ऋजिश्वाः देवता - विश्वेदेवा: छन्दः - अतिजगती स्वरः - निषादः

    नू नो॑ र॒यिं र॒थ्यं॑ चर्षणि॒प्रां पु॑रु॒वीरं॑ म॒ह ऋ॒तस्य॑ गो॒पाम्। क्षयं॑ दाता॒जरं॒ येन॒ जना॒न्त्स्पृधो॒ अदे॑वीर॒भि च॒ क्रमा॑म॒ विश॒ आदे॑वीर॒भ्य१॒॑श्नवा॑म ॥१५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नु । नः॒ । र॒यिम् । र॒थ्य॑म् । च॒र्ष॒णि॒ऽप्राम् । पु॒रु॒ऽवीर॑म् । म॒हः । ऋ॒तस्य॑ । गो॒पाम् । क्षय॑म् । दा॒त॒ । अ॒जर॑म् । येन॑ । जना॑न् । स्पृधः॑ । अदे॑वीः । अ॒भि । च॒ । क्रमा॑म । विशः॑ । आदे॑वीः अ॒भि । अ॒श्नवा॑म ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नू नो रयिं रथ्यं चर्षणिप्रां पुरुवीरं मह ऋतस्य गोपाम्। क्षयं दाताजरं येन जनान्त्स्पृधो अदेवीरभि च क्रमाम विश आदेवीरभ्य१श्नवाम ॥१५॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नु। नः। रयिम्। रथ्यम्। चर्षणिऽप्राम्। पुरुऽवीरम्। महः। ऋतस्य। गोपाम्। क्षयम्। दात। अजरम्। येन। जनान्। स्पृधः। अदेवीः। अभि। च। क्रमाम। विशः। आदेवीः अभि। अश्नवाम ॥१५॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 49; मन्त्र » 15
    अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 7; मन्त्र » 5

    पदार्थ -
    [१] हे सब देवो! (नु) = अब (नः) = हमारे लिये (रयिम्) = उस धन को (दात) = दीजिये। जो (रथ्यम्) = शरीररूप रथ को उत्तम बनानेवाला हो । (चर्षणिप्राम्) = श्रमशील मनुष्यों को करनेवाला पूरण हो, जिस धन के द्वारा हम श्रमशील बनें और अपनी कमियों को दूर करनेवाले हों। (पुरुवीरम्) = बहुत वीर सन्तानोंवाला हो, जिस धन का प्रभाव हमारे सन्तानों में वीरता को जन्म देनेवाला हो और जो धन (महः ऋतस्य) = महान् यज्ञों का (गोपाम्) = रक्षक हो, जिस धन के द्वारा यज्ञों का प्रवर्तन होता रहे। [२] सब देव हमारे लिये (क्षयं दात) = उस शरीररूप गृह को दें जो (अजरम्) = जीर्ण शक्तियोंवाला न हो। (च) = और येन- जिसके द्वारा अदेवीः स्पृधः- अदिव्य- आसुरी - वासनाओंरूप शत्रुओं को अभि क्रमाम=अभिक्रान्त करनेवाले हों। और जिस शरीर के द्वारा आदेवी:- प्राप्त हुई हैं दिव्य भावनाएँ जिनको उन विशः = प्रजाओं को अभ्यश्नवाम= प्राप्त करें।

    भावार्थ - भावार्थ- हमें वह धन प्राप्त हो जो हमें 'उत्तम शरीरवाला, श्रमशील, वीर सन्तानोंवाला व यज्ञरक्षक' बनाये । हमें वह शरीर गृह प्राप्त हो जो कि अजीर्ण शक्तिवाला, आसुरी भावों से अनाक्रान्त व दिव्य भावनाओंवाला हो। अगले सूक्त का ऋषि भी 'ऋजिश्वा' है -

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