Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 51 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 51/ मन्त्र 3
    ऋषिः - देवाः देवता - अग्निः सौचीकः छन्दः - निचृत्त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    ऐच्छा॑म त्वा बहु॒धा जा॑तवेद॒: प्रवि॑ष्टमग्ने अ॒प्स्वोष॑धीषु । तं त्वा॑ य॒मो अ॑चिकेच्चित्रभानो दशान्तरु॒ष्याद॑ति॒रोच॑मानम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ऐच्छा॑म । त्वा॒ । ब॒हु॒धा । जा॒त॒ऽवे॒दः॒ । प्रऽवि॑ष्टम् । अ॒ग्ने॒ । अ॒प्ऽसु । ओष॑धीषु । तम् । त्वा॒ । य॒मः । अ॒चि॒के॒त् । चि॒त्र॒भा॒नो॒ इति॑ चित्रऽभानो । द॒श॒ऽअ॒न्त॒रु॒ष्यात् । अ॒ति॒ऽरोच॑मानम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ऐच्छाम त्वा बहुधा जातवेद: प्रविष्टमग्ने अप्स्वोषधीषु । तं त्वा यमो अचिकेच्चित्रभानो दशान्तरुष्यादतिरोचमानम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ऐच्छाम । त्वा । बहुधा । जातऽवेदः । प्रऽविष्टम् । अग्ने । अप्ऽसु । ओषधीषु । तम् । त्वा । यमः । अचिकेत् । चित्रभानो इति चित्रऽभानो । दशऽअन्तरुष्यात् । अतिऽरोचमानम् ॥ १०.५१.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 51; मन्त्र » 3
    अष्टक » 8; अध्याय » 1; वर्ग » 10; मन्त्र » 3

    पदार्थ -
    (जातवेदः-अग्ने) हे उत्पन्न शरीर के साथ जानने योग्य आत्मा, या उत्पन्न होते ही ज्ञान में आने योग्य विद्युत् ! (बहुधा-अप्सु-ओषधीषु-प्रविष्टं त्वा-ऐच्छाम) बहुत प्रकार से मनुष्य पशु पक्षी रूप से प्राणों में, उष्णत्व धारण करनेवाली नाड़ियों में प्रविष्ट हुए को चाहते हैं तथा जलों में काष्ठादि पदार्थों में प्रविष्ट हुए को खोज करके चाहते हैं (चित्रभानो तं त्वा यमः-अचिकेत्) हे दर्शनीय तेजवाले आत्मन् ! या विद्युत् ! तुझ को यमनकर्ता परमात्मा या वैज्ञानिक जानता है (दशान्तरुष्यात्-अतिरोचमानम्) दश इन्द्रियों, प्राणों के अन्दर उष्णता से तथा चेष्टा से-क्रिया व्यवहार से या दशस्थानों में-पृथिवी, अन्तरिक्ष, द्युलोक, अग्नि, विद्युत्, सूर्य, जल, ओषधि, वनस्पति और प्राणिशरीर में बसने से जानते हैं ॥३॥

    भावार्थ - आत्मा शरीर के उत्पन्न होने के साथ ही जाना जाता है, वह मनुष्य, पशु, पक्षी प्राणियों में उष्णता धारण करनेवाली नाड़ियों में चेष्टाओं के होने से विद्यमान है। परमात्मा आत्मा का नियामक है। भिन्न-भिन्न शरीरों में जाने का इसका निमित्त बनाता है।  एवं विद्युत् प्रकट होते ही जाना जाता है। वह जलों में काष्ठादि में विद्यमान रहता है। इसे वैज्ञानिक लोग जानते हैं ॥३॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top