यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 42
पव॑मानः॒ सोऽअ॒द्य नः॑ प॒वित्रे॑ण॒ विच॑र्षणिः। यः पोता॒ स पु॑नातु मा॥४२॥
स्वर सहित पद पाठपव॑मानः। सः। अ॒द्य। नः॒। प॒वित्रे॑ण। विच॑र्षणि॒रिति॒ विऽच॑र्षणिः। यः। पोता॑। सः। पु॒ना॒तु॒। मा॒ ॥४२ ॥
स्वर रहित मन्त्र
पवमानः सोऽअद्य नः पवित्रेण विचर्षणिः । यः पोता स पुनातु मा ॥
स्वर रहित पद पाठ
पवमानः। सः। अद्य। नः। पवित्रेण। विचर्षणिरिति विऽचर्षणिः। यः। पोता। सः। पुनातु। मा॥४२॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनर्मनुष्यैः पुत्रादयः कथं पवित्राः करणीया इत्याह॥
अन्वयः
यो नो मध्ये पवित्रेण पवमानो विचर्षणिरस्ति, सोऽद्यास्माकं पवित्रकर्त्तोपदेशकश्चास्ति, स पोता मा पुनातु॥४२॥
पदार्थः
(पवमानः) पवित्रः (सः) (अद्य) (नः) अस्माकं मध्ये (पवित्रेण) शुद्धाचरणेन (विचर्षणिः) विविधविद्याप्रद ईश्वरः (यः) (पोता) पवित्रकर्त्ता (सः) (पुनातु) (मा) माम्॥४२॥
भावार्थः
मनुष्या ईश्वरवद्धार्मिका भूत्वा स्वसन्तानान् धर्मात्मनः कुर्युरीदृशानन्तराऽन्यानपि ते पवित्रयितुं न शक्नुवन्ति॥४२॥
हिन्दी (3)
विषय
फिर मनुष्यों को पुत्रादि कैसे पवित्र करने चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
(यः) जो जगदीश्वर (नः) हमारे मध्य में (पवित्रेण) शुद्ध आचरण से (पवमानः) पवित्र (विचर्षणिः) विविध विद्याओं का दाता है, (सः) सो (अद्य) आज हमको पवित्र करने वाला और हमारा उपदेशक है, (सः) सो (पोता) पवित्रस्वरूप परमात्मा (मा) मुझको (पुनातु) पवित्र करे॥४२॥
भावार्थ
मनुष्य लोग ईश्वर के समान धार्मिक होकर अपने सन्तानों को धर्मात्मा करें, ऐसे किये विना अन्य मनुष्यों को भी वे पवित्र नहीं कर सकते॥४२॥
विषय
सब विद्वानों का पवित्र करने का कर्तव्य ।
भावार्थ
(यः) जो (अद्य) आज, नित्य ही, (विचर्षणिः) सब का सूर्य के समान द्रष्टा, (पवमानः) वायु और प्राण के समान सबका पवित्र कर्त्ता एवं व्यापक, (पोता) अग्नि के समान शोधक परमेश्वर, विद्वान् एवं राजा (सः) वह (नः) हमें (पवित्रेण) ज्ञान और कर्म से (मा) मुझ राजा और प्रजा को (पुनातु ) पवित्र करे ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सोमो । गायत्री । षड्जः ॥
विषय
पवित्रता
पदार्थ
१. (सः पवमानः) = वह शोधक सोम (अद्य) = आज (नः) = हमें (पुनातु) = पवित्र करे। हमारे शरीर के रोगों को नष्ट करके हमें स्वास्थ्य की दीप्ति देनेवाला हो। २. (विचर्षणिः) = वह VkgekjsNrr dkst kaueky ki kg Sins of omissions [अकृत] तथा Sins of commissions [कृत] को देखनेवाला परमात्मा (पवित्रेण) = पवित्र करनेवाले ज्ञान से (मा) = मुझे (पुनातु) = पवित्र करे। मुझे वह ज्ञान प्राप्त हो जिसके प्राप्त होने पर मैं पापों से मुक्त हो जाऊँ। ३. (यः पोता) = जो हमारे हृदयों को पूर्ण पवित्र कर देनेवाले प्रभु हैं (सः) = वे वासना को नष्ट करके शुद्धता को उत्पन्न करनेवाले प्रभु (मा) = मुझे (पुनातु) = पूर्ण पवित्र कर दें। प्रभु के नाम का जप व तदर्थभावन मेरे हृदय को वासनाशून्य करनेवाला हो।
भावार्थ
भावार्थ- सोम मुझे नीरोग करके स्वास्थ्य की दीप्ति दे। सर्वव्यापक प्रभु के सामीप्य को अनुभव करके मैं पापों से बचूँ। प्रभु नाम-स्मरण मेरी ढाल बन जाए।
मराठी (2)
भावार्थ
माणसांनी ईश्वराप्रमाणे धार्मिक बनून आपल्या संतानांना धर्मात्मा बनवावे. त्याशिवाय इतर माणसांना ते पवित्र बनवू शकत नाहीत.
विषय
मनुष्यांनी आपल्या पुत्रादीनां कशा प्रकारे पवित्र करावे (सदाचारी) बनवावे याविषयी -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - (यः) जो जगदीश्वर (पवित्रेण) शुद्ध आचरणाच्या (माध्यमातून) (नः) आम्हाला (पवमानः) पवित्र करणारा (आम्हाला सदाचारी होण्यासाठी प्रेरणा देणारा) असून (विचर्षणिः) विविध विद्या देणारा आहे (सः) तो (अद्य) आज (आणि सदासर्वदा) आम्हाला पवित्रचारी करणारा असून तोच आमचा उपदेशक आहे. (सः) तो (पोता) पवित्रस्वरूप परमात्मा (मा) मला (पुनातु पवित्र करो ॥42॥
भावार्थ
missing
इंग्लिश (3)
Meaning
God, Who in our midst, by His immaculate nature, is Pure and Giver of different sciences, is ever our Purifier and Preacher. My He, the Cleanser, make me clean.
Meaning
Lord omniscient, that is pure, immaculate, saviour and purifier of all of us, may He with His purity and holiness purify and consecrate us here and now.
Translation
May the purifier Lord, the beholder of all, purify us today with His purifying power. May He, who is the purifier, purify me. (1)
Notes
Vicarṣaṇiḥ,द्रष्टा कृताकृतज्ञ:, beholder; cognizant of our commissions and ommisions. Pavamanaḥ, the purifier Lord. Also, Soma juice being fil tered through a strainer.
बंगाली (1)
विषय
পুনর্মনুষ্যৈঃ পুত্রাদয়ঃ কথং পবিত্রাঃ করণীয়া ইত্যাহ ॥
পুনঃ মনুষ্যদিগকে কেমন করিয়া পবিত্র করা উচিত এই বিষয়ে পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ–(য়ঃ) যে জগদীশ্বর (নঃ) আমাদের মধ্যে (পবিত্রেণ) শুদ্ধ আচরণ দ্বারা (পবমানঃ) পবিত্র (বিচর্ষণিঃ) বিবিধ বিদ্যাসমূহের দাতা (সঃ) তিনি (অদ্য) আজ আমাদেরকে পবিত্রকারী এবং আমাদের উপদেশক (সঃ) তিনি (পোতা) পবিত্রস্বরূপ পরমাত্মা (মা) আমাকে (পুনাতু) পবিত্র করুন ॥ ৪২ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ–মনুষ্যগণ ঈশ্বরের সমান ধার্মিক হইয়া স্বীয় সন্তানদিগকে ধর্মাত্মা করুন । এইরকম করা ব্যতীত অন্য মনুষ্যকেও তাহারা পবিত্র করিতে পারে না ॥ ৪২ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
পব॑মানঃ॒ সোऽঅ॒দ্য নঃ॑ প॒বিত্রে॑ণ॒ বিচ॑র্ষণিঃ ।
য়ঃ পোতা॒ স পু॑নাতু মা ॥ ৪২ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
পবমান ইত্যস্য বৈখানস ঋষিঃ । সোমো দেবতা । গায়ত্রী ছন্দঃ ।
ষড্জঃ স্বরঃ ॥
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