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  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 18
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - प्राणादयो देवताः छन्दः - विराड्जगती स्वरः - निषादः
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    प्रा॒णाय॒ स्वाहा॑पा॒नाय॒ स्वाहा॑ व्या॒नाय॒ स्वाहा॑। अम्बे॒ऽअम्बि॒केऽम्बा॑लिके॒ न मा॑ नयति॒ कश्च॒न। सस॑स्त्यश्व॒कः सुभ॑द्रिकां काम्पीलवा॒सिनी॑म्॥१८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रा॒णाय॑। स्वाहा॑। अ॒पा॒नाय॑। स्वाहा॑। व्या॒नायेति॑ विऽआ॒नाय॑। स्वाहा॑। अम्बे॑। अम्बि॑के। अम्बा॑लिके। न। मा॒। न॒य॒ति॒। कः। च॒न। सस॑स्ति। अ॒श्व॒कः। सुभ॑द्रिका॒मिति॒ सुऽभ॑द्रिकाम्। का॒म्पी॒ल॒वा॒सिनी॒मिति॑ काम्पीलऽ वा॒सिनी॑म् ॥१८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्राणाय स्वाहाऽअपानाय स्वाहा व्यानाय स्वाहा अम्बे अम्बिके म्बालिके न मा नयति कश्चन । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकाङ्काम्पीलवासिनीम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    प्राणाय। स्वाहा। अपानाय। स्वाहा। व्यानायेति विऽआनाय। स्वाहा। अम्बे। अम्बिके। अम्बालिके। न। मा। नयति। कः। चन। ससस्ति। अश्वकः। सुभद्रिकामिति सुऽभद्रिकाम्। काम्पीलवासिनीमिति काम्पीलऽ वासिनीम्॥१८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 18
    Acknowledgment

    Translation -
    Svaha to breath. (1) Svaha to out-breath. (2) Svaha to through-breath. (3) O mother, O grand-mother, O great grand-mother, no one carries me away. Аn energetic man becomes sleepy after obtaining the joy-giving wealth. (4)

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