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  • यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 31
    ऋषिः - हैमवर्चिर्ऋषिः देवता - यज्ञो देवता छन्दः - अनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
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    ए॒ताव॑द् रू॒पं य॒ज्ञस्य॒ यद्दे॒वैर्ब्रह्म॑णा कृ॒तम्। तदे॒तत्सर्व॑माप्नोति य॒ज्ञे सौ॑त्राम॒णी सु॒ते॥३१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒ताव॑त्। रू॒पम्। य॒ज्ञस्य॑। यत्। दे॒वैः। ब्रह्म॑णा। कृ॒तम्। तत्। ए॒तत्। सर्व॑म्। आ॒प्नो॒ति॒। य॒ज्ञे। सौ॒त्रा॒म॒णी। सु॒ते ॥३१ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एतावद्रूपँयज्ञस्य यद्देवैर्ब्रह्मणा कृतम् । तदेतत्सर्वमाप्नोति यज्ञे सौत्रामणी सुते ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    एतावत्। रूपम्। यज्ञस्य। यत्। देवैः। ब्रह्मणा। कृतम्। तत्। एतत्। सर्वम्। आप्नोति। यज्ञे। सौत्रामणी। सुते॥३१॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 19; मन्त्र » 31
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