Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 85
    ऋषिः - शङ्ख ऋषिः देवता - सविता देवता छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    1

    इन्द्रः॑ सु॒त्रामा॒ हृद॑येन स॒त्यं पु॑रो॒डशे॑न सवि॒ता ज॑जान। यकृ॑त् क्लो॒मानं॒ वरु॑णो भिष॒ज्यन् मत॑स्ने वाय॒व्यैर्न मि॑नाति पि॒त्तम्॥८५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्रः॑। सु॒त्रामेति॑ सु॒ऽत्रामा॑। हृद॑येन। स॒त्यम्। पु॒रो॒डाशे॑न। स॒वि॒ता। ज॒जा॒न॒। यकृ॑त्। क्लो॒मान॑म्। वरु॑णः। भि॒ष॒ज्यन्। मत॑स्ने॒ इति॒ मत॑ऽस्ने। वा॒य॒व्यैः᳖। न। मि॒ना॒ति॒। पि॒त्तम् ॥८५ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रः सुत्रामा हृदयेण सत्यम्पुरोडाशेन सविता जजान । यकृत्क्लोमानँवरुणो भिषज्यन्मतस्ने वायव्यैर्न मिनाति पित्तम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्रः। सुत्रामेति सुऽत्रामा। हृदयेन। सत्यम्। पुरोडाशेन। सविता। जजान। यकृत्। क्लोमानम्। वरुणः। भिषज्यन्। मतस्ने इति मतऽस्ने। वायव्यैः। न। मिनाति। पित्तम्॥८५॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 19; मन्त्र » 85
    Acknowledgment

    Meaning -
    A learned doctor, guarding the body against disease, giving us medical directions, removing sickness, realises through his soul the exact nature of disease, and with prescribed food, does not allow our lungs, liver, throat artery, kidney and bile to be affected.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top