Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 15/ मन्त्र 2
    ऋषिः - परमेष्ठी ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    0

    सह॑सा जा॒तान् प्रणु॑दा नः स॒पत्ना॒न् प्रत्यजा॑तान् जातवेदो नुदस्व। अधि॑ नो ब्रूहि सुमन॒स्यमा॑नो व॒यꣳ स्या॑म॒ प्रणु॑दा नः स॒पत्ना॑न्॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सह॑सा। जा॒तान्। प्र। नु॒द॒। नः॒। स॒पत्ना॒निति॑ स॒ऽपत्ना॑न्। प्रति॑। अजा॑तान्। जा॒त॒वे॒द॒ इति॑ जातऽवेदः। नु॒द॒स्व॒। अधि॑। नः॒। ब्रू॒हि॒। सु॒म॒न॒स्यमा॑न॒ इति॑ सुऽमन॒स्यमा॑नः। व॒यम्। स्या॒म॒। प्र। नु॒द॒। नः॒। स॒पत्ना॒निति॑ स॒ऽपत्ना॑न् ॥२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहसा जातान्प्रणुदा नः सपत्नान्प्रत्यजाताञ्जातवेदो नुदस्व । अधि नो ब्रूहि सुमनस्यमानो वयँ स्याम प्र णुदा नः सपत्नान्॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सहसा। जातान्। प्र। नुद। नः। सपत्नानिति सऽपत्नान्। प्रति। अजातान्। जातवेद इति जातऽवेदः। नुदस्व। अधि। नः। ब्रूहि। सुमनस्यमान इति सुऽमनस्यमानः। वयम्। स्याम। प्र। नुद। नः। सपत्नानिति सऽपत्नान्॥२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 15; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    Meaning -
    Agni, Lord omniscient of the life of existence, throw off the enemies of humanity come up with force. Counter the negative forces lying and waiting in ambush, not coming up openly. Kind at heart and generous of thought for us, speak to us from above so that we may be able every way to repulse the open as well as the covert enemies of life and humanity.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top