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अथर्ववेद > काण्ड 9 > सूक्त 6 > पर्यायः 2

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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 6/ मन्त्र 3
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अतिथिः, विद्या छन्दः - आसुर्यनुष्टुप् सूक्तम् - अतिथि सत्कार

    उप॑ हरति ह॒वींष्या सा॑दयति ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उप॑ । ह॒र॒ति॒ । ह॒वींषि॑ । आ । सा॒द॒य॒ति॒ ॥७.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उप हरति हवींष्या सादयति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उप । हरति । हवींषि । आ । सादयति ॥७.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 6; पर्यायः » 2; मन्त्र » 3

    Meaning -
    When he takes up this more and brings it to the guest, it is as if he takes more of fragrant materials for the yajna, seats himself on the vedi and offers the oblation to Agni.

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