Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 29/ मन्त्र 31
    ऋषिः - भार्गवो जमदग्निर्ऋषिः देवता - स्त्रियो देवताः छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    0

    आ सु॒ष्वय॑न्ती यज॒तेऽउपा॑केऽउ॒षासा॒नक्ता॑ सदतां॒ नि योनौ॑।दि॒व्ये योष॑णे बृह॒ती सु॑रु॒क्मेऽअधि॒ श्रिय॑ꣳ शुक्र॒पिशं॒ दधा॑ने॥३१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ। सु॒ष्वय॑न्ती। सु॒स्वय॑न्ती॒ इति॑ सु॒ऽस्वय॑न्ती। य॒ज॒तेऽइति॑ यज॒ते। उपा॑के॒ऽइत्युपा॑के। उ॒षासा॒नक्ता॑। उ॒षसा॒नक्तेत्यु॒षसा॒नक्ता॑। स॒द॒ता॒म्। नि। योनौ॑। दि॒व्येऽइति॑ दि॒व्ये। योष॑णे॒ऽइति॒ योष॑णे। बृ॒ह॒तीऽइति॑ बृह॒ती। सु॒रु॒क्मे इति॑ सुऽरु॒क्मे। अधि॑। श्रिय॑म्। शु॒क्र॒पिश॒मिति॑ शुक्र॒ऽपिश॑म्। दधा॑ने॒ऽइति॒ दधा॑ने ॥३१ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ सुष्वयन्ती यजतेऽउपाकेऽउषासानक्ता सदतानि योनौ । दिव्ये योषणे बृहती सुरुक्मेऽअधि श्रियँ शुक्रपिशन्दधाने ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आ। सुष्वयन्ती। सुस्वयन्ती इति सुऽस्वयन्ती। यजतेऽइति यजते। उपाकेऽइत्युपाके। उषासानक्ता। उषसानक्तेत्युषसानक्ता। सदताम्। नि। योनौ। दिव्येऽइति दिव्ये। योषणेऽइति योषणे। बृहतीऽइति बृहती। सुरुक्मे इति सुऽरुक्मे। अधि। श्रियम्। शुक्रपिशमिति शुक्रऽपिशम्। दधानेऽइति दधाने॥३१॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 29; मन्त्र » 31
    Acknowledgment

    Translation -
    May the two dawns and the night (usasa nakta), worthy of company, each close to each, celestial damsels, grand and beautiful, wearing bright and dark appearances, come here smiling and be seated at this place of sacrifice. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top