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  • यजुर्वेद - अध्याय 24/ मन्त्र 18
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - पितरो देवताः छन्दः - भुरिगतिजगती स्वरः - निषादः
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    धू॒म्रा ब॒भ्रुनी॑काशाः पितॄ॒णासोम॑वतां ब॒भ्रवो॑ धू॒म्रनी॑काशाः पितॄ॒णां ब॑र्हि॒षदां॑ कृ॒ष्णा ब॒भ्रुनी॑काशाः पितॄ॒णाम॑ग्निष्वा॒त्तानां॑ कृ॒ष्णाः पृष॑न्तस्त्रैयम्ब॒काः॥१८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    धू॒म्राः। ब॒भ्रुनी॑काशाः। ब॒भ्रुनि॑काशा॒ इति॑ ब॒भ्रुऽनि॑काशाः। पि॒तॄणाम्। सोम॑वता॒मिति॒ सोम॑ऽवताम्। ब॒भ्रवः॑। धू॒म्रनी॑काशाः। धू॒म्रनि॑काशा॒ इति॑ धू॒म्रऽनि॑काशाः। पि॒तॄणाम्। ब॒र्हि॒षदा॑म्। ब॒र्हि॒सदा॒मिति बर्हि॒ऽसदा॑म्। कृ॒ष्णाः। ब॒भ्रुनि॑काशा॒ इति॑ ब॒भ्रुऽनि॑काशाः। पि॒तॄणाम्। अ॒ग्नि॒ष्वा॒त्ताना॒म्। अ॒ग्नि॒स्वा॒त्ताना॒मित्य॑ग्निऽस्वा॒त्ताना॑म्। कृ॒ष्णाः। पृष॑न्तः। त्रै॒य॒म्ब॒काः ॥१८ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    धूम्रा बभ्रुनीकाशाः पितऋृणाँ सोमवताम्बभ्रवो बभ्रुनीकाशाः पितऋृणाम्बर्हिषदाठङ्कृष्णा बभ्रुनीकाशाः पितऋृणामग्निष्वात्तानाङ्कृष्णाः पृषन्तस्त्रैयम्बकाः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    धूम्राः। बभ्रुनीकाशाः। बभ्रुनिकाशा इति बभ्रुऽनिकाशाः। पितॄणाम्। सोमवतामिति सोमऽवताम्। बभ्रवः। धूम्रनीकाशाः। धूम्रनिकाशा इति धूम्रऽनिकाशाः। पितॄणाम्। बर्हिषदाम्। बर्हिसदामिति बर्हिऽसदाम्। कृष्णाः। बभ्रुनिकाशा इति बभ्रुऽनिकाशाः। पितॄणाम्। अग्निष्वात्तानाम्। अग्निस्वात्तानामित्यग्निऽस्वात्तानाम्। कृष्णाः। पृषन्तः। त्रैयम्बकाः॥१८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 24; मन्त्र » 18
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ–হে মনুষ্যগণ! (সোমবতাম্) সোমশান্তি আদি গুণযুক্ত উৎপন্নকারী (পিতৃণাম্) মাতা-পিতাদের (বভ্রুনীকাশাঃ) নকুল সদৃশ (ধূম্রাঃ) ধূম্র বর্ণযুক্ত (বর্হিষদাম্) যাহারা সভার মধ্যে উপবেশন করে তাহাদের (পিতৃণাম্) পালনকারী বিদ্বান্দিগের (কৃষ্ণাঃ) কৃষ্ণবর্ণযুক্ত (ধূম্রনীকাশাঃ)) ধূম্র সমান এবং (বভ্রবঃ) পুষ্টিকারী তথা (অগ্নিষ্বাতানাম্) যাহারা অগ্নিবিদ্যা গ্রহণ করিয়াছেন সেই সব (পিত্ৃণাম্) পালনকারী বিদ্বান্দিগের (বভ্রুনীকাশাঃ) পালনকারীর সমান (কৃষ্ণাঃ) কৃষ্ণবর্ণযুক্ত (পৃষন্তঃ) স্থূলাঙ্গের সহিত যুক্ত (ত্রৈয়ম্বকাঃ) যাহাদের তিন অধিকারে লক্ষণ আছে সেই সব প্রাণী বা পদার্থ ইহা তোমাদের জানা উচিত ॥ ১৮ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ–যাহারা উৎপন্নকারী এবং বিদ্যাদাতা বিদ্বান্ তাহাদের ঘৃতাদি পদার্থ অথবা গাভি আদির দান দ্বারা যথাযোগ্য সৎকার করা উচিত ॥ ১৮ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - ধূ॒ম্রা ব॒ভ্রুনী॑কাশাঃ পিতৃৃ॒ণাᳬंসোম॑বতাং ব॒ভ্রবো॑ ধূ॒ম্রনী॑কাশাঃ পিতৃৃ॒ণাং ব॑র্হি॒ষদাং॑ কৃ॒ষ্ণা ব॒ভ্রুনী॑কাশাঃ পিতৃৃ॒ণাম॑গ্নিষ্বা॒ত্তানাং॑ কৃ॒ষ্ণাঃ পৃষ॑ন্তস্ত্রৈয়ম্ব॒কাঃ ॥ ১৮ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ধূম্রা ইত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । পিতরো দেবতাঃ । ভুরিগতিজগতী ছন্দঃ ।
    নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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