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  • यजुर्वेद - अध्याय 9/ मन्त्र 11
    ऋषिः - बृहस्पतिर्ऋषिः देवता - इन्द्राबृहस्पती देवते छन्दः - जगती, स्वरः - निषादः
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    बृह॑स्पते॒ वाजं॑ जय॒ बृह॒स्पत॑ये॒ वाचं॑ वदत॒ बृह॒स्पतिं॒ वाजं॑ जापयत। इन्द्र॒ वाजं॑ ज॒येन्द्रा॑य॒ वाचं॑ वद॒तेन्द्रं॒ वाजं॑ जापयत॥११॥

    स्वर सहित पद पाठ

    बृह॑स्पते। वाज॑म्। ज॒य॒। बृह॒स्पत॑ये। वाच॑म्। व॒द॒त॒। बृह॒स्पति॑म्। वाज॑म्। जा॒प॒य॒त॒। इन्द्र॑। वाज॑म्। ज॒य॒। इन्द्रा॑य। वाच॑म्। व॒द॒त॒। इन्द्र॑म्। वाज॑म्। जा॒प॒य॒त॒ ॥११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    बृहस्पते वाजं जय बृहस्पतये वाचं वदत बृहस्पतिं वाजं जापयत । इन्द्र वाजं जयेन्द्राय वाचं वदतेन्द्रं वाजं जापयत ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    बृहस्पते। वाजम्। जय। बृहस्पतये। वाचम्। वदत। बृहस्पतिम्। वाजम्। जापयत। इन्द्र। वाजम्। जय। इन्द्राय। वाचम्। वदत। इन्द्रम्। वाजम्। जापयत॥११॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 9; मन्त्र » 11
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    भावार्थ -

    -हे ( बृहस्पते ) बृहस्पते ! महती सेना के स्वामिन् ! तू ( वाजं जय ) संग्राम को विजय कर । ( बृहस्पतये ) उक्त बृहस्पति के लिये हे विद्वान पुरुषो! आप लोग ( वाचं ) उत्तम विज्ञानयुक्त वाणी का ( वदत ) उपदेश करो, उसके योग्य उसको ज्ञान प्राप्त कराओ ! हे विद्वान् पुरुषो! आप लोग (बृहस्पतिम् ) महान् राष्ट्र के पालक राजा के ( वाजम् ) संग्राम को ( जापयत ) विजय कराने में सहायता दो । हे ( इन्द्र ) इन्द्र ! राजन् ! तू ( वाजं जय) संग्राम का विजय कर । हे विद्वान् पुरुषो ! ( इन्द्राय वाचं वदतं ) इन्द्रपद के योग्य ज्ञानवाणी को उपदेश करो। और ( इन्द्रं वाजं जापयत ) इन्द्र राजा के युद्ध विजय में सहायता करो । 
    वेदज्ञ बृहस्पति के पक्ष में - वह ( वाजं जय ) ज्ञान,विद्या-बोध प्राप्त  करे और ( वाजं ) वेदवाणी का उसको उपदेश करे । उसको ज्ञान प्राप्त करने में सब सहायता दें॥ शत० ५ । १।५। ८-९ ॥ 

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर -

    इन्द्रबृहस्पती देवते । जगती । निषादः ॥ 
     

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