अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 4/ मन्त्र 45
ऋषिः - ब्रह्मा
देवता - अध्यात्मम्
छन्दः - आसुरी गायत्री
सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
22
उपो॑ ते॒ बध्वे॒ बद्धा॑नि॒ यदि॒ वासि॒ न्यर्बुदम् ॥
स्वर सहित पद पाठउपो॒ इति॑ । ते॒ । बध्वे॑ । बध्दा॑नि । यदि॑ । वा॒ । असि॑ । निऽअ॑र्बुदम् ॥७.१७॥
स्वर रहित मन्त्र
उपो ते बध्वे बद्धानि यदि वासि न्यर्बुदम् ॥
स्वर रहित पद पाठउपो इति । ते । बध्वे । बध्दानि । यदि । वा । असि । निऽअर्बुदम् ॥७.१७॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
परमात्मा और जीवात्मा के विषय का उपदेश।
पदार्थ
(उपो) और भी (ते) तेरे (वध्वे) नियम में [सब सत्तावाले] (बद्धानि) बँधे हुए हैं, (यदि) क्योंकि तू (वा) अवश्य (न्यर्बुदम्) निरन्तर व्यापक [ब्रह्म] (असि) है ॥४५॥
भावार्थ
परमेश्वर वृष्टि द्वारा सोमलता अन्न आदि पदार्थ उत्पन्न करके सब प्राणियों का पालन करता हुआ अगणित उपकार करता है, और वह सर्वव्यापक होकर सब संसार को नियम में रखता है ॥४३-४५॥
टिप्पणी
४५−(उपो) अपि च (ते) तव (बध्वे) इण्शीभ्यां वन्। उ० १।१५२। वध संयमने-वन्। नियमे (बद्धानि) संयतानि सर्वाणि भूतानि (यदि) यतः (वा) अवश्यम् (असि) (न्यर्बुदम्) अ० ८।८।७। अर्व गतौ हिंसने च-उदच्। निरन्तरगतिशीलं व्यापकं ब्रह्म ॥
विषय
'अनन्त महिमा'
पदार्थ
१. हे (मघवन्) = ऐश्वर्यशाली प्रभो! (तावान् ते महिमा) = उतनी तेरी महिमा है, जितना विस्तृत यह ब्रह्माण्ड है। यह सब तेरी ही तो महिमा है। (उपो) = और (ते तन्वः शतम्) = ये सब आपके ही सैकड़ों शरीर है। २. (उपो) = और (ते बध्वे) = आपके नियमों के बन्धन में ये सब पिण्ड बद्धानि बंधे हुए हैं। हे प्रभो। (यदि वा) = अथवा आप (न्यर्बुदम् असि) = असंख्यों ही रूपों में हैं अथवा [अर्व गतौ] सर्वत्र प्राप्त हैं, निरन्तर व्यापक हैं।
भावार्थ
यह ब्रह्माण्ड प्रभु की ही महिमा है। सब लोक-लोकान्तर प्रभु के ही सैकड़ों शरीर हैं। ये सब प्रभु के नियम-बन्धन में बद्ध हैं। प्रभु इन सबमें व्याप्त हो रहे हैं।
भाषार्थ
(यदि वा) चाहे (न्यर्बुदम्) अर्बो विस्तार वाला (असि) तू हैं, वे विस्तार (ते) तेरे (बद्धे) बन्धन में (उप ऊ बद्धानि) समीपता से, बंधे हुए हैं।
टिप्पणी
[न्यर्बुदम् = अर्बुद का दसगुना। अर्बुद = १०० मिलियन। मिलियन = १० लाख। न्यर्बुद = १० अर्बुद। उ = वितर्के। उप= समीपता; परमेश्वर सब विस्तारवाली वस्तुओं में व्यापक होने से, उन के अत्यन्त समीप होकर उन्हें अपने बन्धन में बांधे हुए है]
इंग्लिश (4)
Subject
Savita, Aditya, Rohita, the Spirit
Meaning
Billions are your manifestations, all things controlled within the bounds of your law.
Translation
All these are tied to your ten million forms; or you yourself area hundred million.
Translation
All these worldly objects are bound in thy millions of powers and things.Thou art bellion when thou pervades all these objects.
Translation
All beings are bound by Thy law, as Thou art All-pervading.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
४५−(उपो) अपि च (ते) तव (बध्वे) इण्शीभ्यां वन्। उ० १।१५२। वध संयमने-वन्। नियमे (बद्धानि) संयतानि सर्वाणि भूतानि (यदि) यतः (वा) अवश्यम् (असि) (न्यर्बुदम्) अ० ८।८।७। अर्व गतौ हिंसने च-उदच्। निरन्तरगतिशीलं व्यापकं ब्रह्म ॥
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