Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 11/ मन्त्र 12
    ऋषिः - नाभानेदिष्ठ ऋषिः देवता - वाजी देवता छन्दः - आस्तारपङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः
    1

    प्रतू॑र्त्तं वाजि॒न्नाद्र॑व॒ वरि॑ष्ठा॒मनु॑ सं॒वत॑म्। दि॒वि ते॒ जन्म॑ पर॒मम॒न्तरि॑क्षे॒ तव॒ नाभिः॑ पृथि॒व्यामधि॒ योनि॒रित्॥१२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रतू॑र्त्त॒मिति॒ प्रऽतू॑र्त्तम्। वा॒जि॒न्। आ। द्र॒व॒। वरि॑ष्ठाम्। अनु॑। सं॒वत॒मिति॑ स॒म्ऽवत॑म्। दि॒वि। ते॒। जन्म॑। प॒र॒मम्। अ॒न्तरि॑क्षे। तव॑। नाभिः॑। पृ॒थि॒व्याम्। अधि॑। योनिः॑। इत् ॥१२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रतूर्तँवाजिन्नाद्रव वरिष्ठामनु सँवतम् । दिवि ते जन्म परममन्तरिक्षे तव नाभिः पृथिव्यामधि योनिरित् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    प्रतूर्त्तमिति प्रऽतूर्त्तम्। वाजिन्। आ। द्रव। वरिष्ठाम्। अनु। संवतमिति सम्ऽवतम्। दिवि। ते। जन्म। परमम्। अन्तरिक्षे। तव। नाभिः। पृथिव्याम्। अधि। योनिः। इत्॥१२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 11; मन्त्र » 12
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    পদার্থঃ- হে (বাজিন্) প্রশংসিত জ্ঞানযুক্ত বিদ্বান্ ! যে (তে) আপনার শিল্পবিদ্যা দ্বারা (দিবি) সূর্য্যের আলোকে (পরমম্) উত্তম (জন্ম) প্রসিদ্ধ (তব) আপনার (অন্তরিক্ষে) আকাশে (নাভিঃ) বন্ধন এবং (পৃথিব্যাম্) এই পৃথিবীতে (য়োনিঃ) নিমিত্ত প্রয়োজন সুতরাং আপনি বিমানাদি যানের অধিষ্ঠাতা হইয়া (বরিষ্ঠাম্) অত্যন্ত উত্তম (সংবতম্) সুষ্ঠু প্রকারে বিভাজিত গতিকে (প্রতূর্ত্তম্) অতিশীঘ্র (ইৎ)(অনু) পশ্চাৎ (আ) (দ্রব) ভালমত চলুন ॥ ১২ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ- যখন মনুষ্য বিদ্যা ও ক্রিয়ার মধ্যে পরম প্রযত্ন সহ প্রসিদ্ধ হইয়া এবং বিমানাদি যান রচনা করিয়া শীঘ্র যাতায়াত করেন তখন তাহাদিগের ধন প্রাপ্তি সুগম হয় ॥ ১২ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - প্রতূ॑র্ত্তং বাজি॒ন্না দ্র॑ব॒ বরি॑ষ্ঠা॒মনু॑ সং॒বত॑ম্ । দি॒বি তে॒ জন্ম॑ পর॒মম॒ন্তরি॑ক্ষে॒ তব॒ নাভিঃ॑ পৃথি॒ব্যামধি॒ য়োনি॒রিৎ ॥ ১২ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - প্রতূর্ত্তমিত্যস্য নাভানেদিষ্ঠ ঋষিঃ । বাজী দেবতা । আস্তারপংক্তিশ্ছন্দঃ ।
    পঞ্চমঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top