यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 5
ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - परमेश्वरो देवता
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
1
यु॒ञ्जन्ति॑ ब्र॒ध्नम॑रु॒षं चर॑न्तं॒ परि॑ त॒स्थुषः॑। रोच॑न्तेरोच॒ना दि॒वि॥५॥
स्वर सहित पद पाठयु॒ञ्जन्ति॑। ब्र॒ध्नम्। अ॒रु॒षम्। चर॑न्तरम्। परि॑। त॒स्थुषः॑। रोच॑न्ते। रो॒च॒नाः। दि॒वि ॥५ ॥
स्वर रहित मन्त्र
युञ्जन्ति ब्रध्नमरुषञ्चरन्तम्परि तस्थुषः । रोचन्ते रोचना दिवि ॥
स्वर रहित पद पाठ
युञ्जन्ति। ब्रध्नम्। अरुषम्। चरन्तरम्। परि। तस्थुषः। रोचन्ते। रोचनाः। दिवि॥५॥
विषय - दोषरहित तेजस्वी राजा की नियुक्ति, पक्षान्तर में परमेश्वर की योग द्वारा उपासना । पक्षान्तर में सूर्य का वर्णन ।
भावार्थ -
परमेश्वर पक्ष में— जो विद्वान्, योगाभ्यासी जन ( ब्रध्नम् ) महान्, सूर्य के समान सबके मध्य में स्थित होकर, सबको अपनी आकर्षण शक्ति से बांधने वाले, ( परि तस्थुषः ) अपने चारों ओर स्थिर चेतनारहित, महान्, पांच भूत आदि प्रकृति के भीतर और बाहर सब प्रकार से ( चरन्तम् ) व्यापक ( अरुषम् ) शरीर के सब मर्मों में विराजमान आत्मा को (युञ्जन्ति) योग द्वारा साक्षात् करते हैं । वे (दिवि) ज्ञानमय मोक्ष में (रोचना:) स्वतः दीप्तिमान् एवं यथाकाम, यथारुचि होकर (रोचन्ते) प्रकाशित होते हैं ।
(२) योगी (परितस्थुषः) चारों ओर स्थित इन्द्रियों में व्याप्त, ( ब्रघ्नम् ) सबको अपने साथ बांधने वाले आत्मा को, अथवा (तस्थुषः) स्थावर या स्थूल स्थिर देहों के (परि) आधार पर ( चरन्तम् ) भोग करने हारे ( अरुषम् ) मर्मों में व्यापक आत्मा को योग द्वारा प्राप्त करते हैं वे (दिवि) ज्ञान प्रकाश में (रोचनाः ) यथेष्ट प्रज्वलित होकर (रोचन्ते) सबके प्रीतिपात्र होते वा प्रकाशित होते हैं ।
(३) सूर्य पक्ष में- आकाश में (रोचनाः ) तेजस्वी नाना सूर्य चमकते हैं। (परि तस्थुषः) चारों ओर स्थित ग्रहों तक प्रकाश से व्यापने वाले, (नम् ) उनको आकषर्ण सामर्थ्य से बांधने वाले ( अरुषम् ) अति दीप्त सूर्य को (युञ्जन्ति) नियुक्त करते हैं ।
(४) राजा विद्वान् लोग (परितस्थुपः) चारों ओर खड़े रहने वाले, अनुयायी लोगों और देशों को पराक्रम द्वारा प्राप्त करने वाले ( अरुषम् ) रोषरहित, सौम्य स्वभाव के, ( ब्रघ्नम् ) सूर्य के समान तेजस्वी, उत्तम प्रबन्धक महापुरुष को राष्ट्रपति के पद पर नियुक्त करें, और (रोचनाः) तेजस्वी पुरुष (दिवि) राजसभा में विराजे ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - मधुच्छन्दा ऋषिः । सूर्यराजाश्वात्मपरमेश्वराः स्तुतिविषया देवताः । गायत्री । षड्जः ।
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